मन के भाव सरल हो ऐसी कामना करना।
मन से मन मिलन हो ये सद्भावना रखना।।
क्या द्वेष दंभ में रखा है और क्या मिला इससे
इंसान को इंसान से ही काम है पडना।।
सब यहां से मिला और सब यहीं रहना है।
महल खंडहर बन गये सब वक़्त का जलना।।
राजे महाराजे आये, लेड़े भिड़े और सिमटे।
समय के खेल में समझ न पाए हमको भी है मरना।।
कथनी और करनी में अंतर करने वाले सुनलो
हर कथनी का कर्म है निश्चित आज न तो कल करना।।