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Monday 16 April 2018

भारतीय होते हुए हम अपने देश को क्या दे रहे हैं ?

हम सब भारतवासी अपनी इस धरती पर  अपना अधिकार मानते हैं । अपने दिये हुए मतों के आधार पर लोकतांत्रिक सरकार चुनते हैं । और स्वतंत्रता के जश्न मनाते हैं । हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई जैन पारसी बौद्थ धर्मों संस्कृतियों के आधार पर भिन्न भिन्न भाषाओं तीज त्यौहारों को आपस में मनाते हैं । अनेकानेक संस्कृतियों का समाविष्ट रखता हुआ हमारा भारत देश । विश्व के तमाम देशों से अलग अपनी पहचान बनाये हुए है।
     हमारी यही पहचान हमारी राष्ट्रीय ताकत है जिसको तोडने के लगातार षडयंत्र विदेशी ताकतें करने में लगातार कुकृत्य करने से बाज नहीं आ रही ।
    हमें आपस में लडाना , फूट डालना , और हमारी एकता को खंडित करना उन का मकसद है ।
    ये आप भी जानते हैं कि हमारी एकता यदि रहेगी तो किसी भी शत्रू का हम मुहतोड जवाब देने में सक्षम हैं ।
इसीलिये हमें जाति धर्म भाषा प्रांत संस्कृति के नाम पर वो हमें लडाने के निरंतर प्रयास कर रहे है ।
    इसी का परिणाम रहा कि पाकिस्तान , बांग्लादेश नेपाल भूटान तिब्बत अफगानिस्तान म्यामार थाईईलेंड अलग देश बन गये यानि अखंड भारत के टुकडे हमारी आपसी फूट के कारण हो गये ।
आज कश्मीर समस्या भी इसी प्रकार के षडयंत्रों का हिस्सा है । बेकसूर मारे जा रहे हैं और भटके हुए यवा अपनी ही जन्मभूमि के प्रति गद्दार बन रहे हैं
आवश्यकता है कि ऐसी कोई सशक्त नीति हो कि इस दिशा में जनता एवं सरकार दोनों का संयुक्त अभियान चले और हम फिर से अपना अखंड भारत पा जाएं ।

।। जय हिंद वंदे मातरम् ।।

क्या इंसान इतना गिर गया है कि

               मानव जाति को अन्य जीवों से  श्रेष्ठ माना जाता रहा है।  हमारे ऋषि मुनि धर्म ग्रंथों में भी यही मान्यता है कि मानव जाति सभी जीवित प्राणियों से श्रेष्ठ है।  क्योंकि उसके अपने व्यक्तिगत जीवन, सामाजिक नियम और सिद्धांतों के आधार पर ही  उसकी पात्रता होती है।
वैसे तो प्राणी जगत में प्रत्येक जीव की अपनी अलग पहचान अलग स्वजातीय व्यवस्था होती है।  सभी अपने शत्रुओं से सावधान रहते एवं  अपने बच्चों को भी सुरक्षित रखने के लिए सजग रहते हैं। 
लेकिन कोई भी अपने चरित्र को लेकर इतना नहीं गिर जाता है जितना हमारे देश  में  एक आम बात हो गई है कि। आये दिन किसी न किसी की  बेटी  को  कुछ कमीने लोगों अपराधियों पैशाचिक  प्रवृत्ति के लोगों के मासूम बच्चियों के साथ कुकर्म  करने के प्रकरंण  आये दिन सुनने को मिल रहा है। 
सरकार से प्रयास भी बेटियों की सुरक्षा में नाकाम हो रहे हैं ।