आज एहसास को लफ्जों में बयाँ करती हूँ ।
हो मेरी चाहत तुम तुम्हीं से प्यार करती हूँ ।।
कब हुआ कैसे हुआ प्यार बताना मुश्क़िल ।
मैं तो ख्वबों में सनम् तुमसे मिला करती हूँ ।।
जब भी देखूँ तुम्हें होती है अजब बैचेनी ।
मैं कभी खुद कभी हालात कभी तुम पे मिटा करती हूँ ।।
है मुझे तुमसे मुहब्बत यक़ी है मुझको ।
मेरे सरताज़ हो तुम ये एतबार करती हूँ ।।
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गीतकार संगीतकार हरिओम जोशी
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