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Tuesday 29 December 2020

ghazal

[12/29, 9:02 AM] Hariom Joshi: ZINDAGI ME HAR KISI KI HO KHUSHI MUMKIN NAHI . GHAM KE BAADAL NA KABHI CHHAYE HON YE MUMKIN NAHI .
1. AASMA PER CHAND KAISA AASMA KO KYA GHARAZ . HO KABHI US PE ASAR YE KABHI MUMKIN NAHI .
ZINDAGI ME......
2. DIL KI DOULAT PYAR HO YA GHAME DILDAAR HO . SHAMMA THHANDI AANCH DE PARVAANE KO MUMKIN NAHIN .
[12/29, 9:04 AM] Hariom Joshi: 3. SHAM SE SUBHA TALAK SUBHA SE FIR SHAM TAK . GHAM RAHE YA PUR SUKUN . YE BHI TO MUMKIN NAHIN .

Thursday 17 December 2020

स्वप्न और सच्चाई

एक ही इंसान और उसके दो जहान । सुबह कहीं किसी और का जीवन । रात पड़े मिले और पहचान । सुबह की भोर से करता  मजूरी । रातमें कोई शहजादे सी शान । 
पहनावा रहनसहन सब  बदल जाते चाल ढाल और बोलने का ढंग पूरा चेंज 

Wednesday 9 December 2020

बनी रा ठाठ निराला रे बनी रो काँई कहणों गीतकार हरिओम जोशी

बनी रा ठाठ निराला रे 
बनी रो काँईं कहणों । 
पायल छनकी चूडी खनकी 
कमर मटकणी रे
 बनी रो काँई कहणो ।।
मेहंदी रचाई हाथां में 
टिकलो सजायो माथा में 
सोना री बाली दमके 
काजल कोर आँख्याँ में । 
लाली सुरख लगाई रे 
बनी रो काँई कहणो । 
भावज निरखे मायड झिडके 
दादी लाड लडावे ।
सागे सागे सखी सहेल्याँ 
बन्ना बन्नी गावे । 
सबकी लाडली बन्नी रे 
बनी रो काँई कहणो ।

 गीतकार संगीतकार हरिओम जोशी 

Monday 7 December 2020

ONLINE MUSIC LEARNING TIPS FOR EVERYONE

There many sites to teach online music  to the pupils . But somthing is different with us . 
1. Indiual attention to everyone
2. Basic knowledge about the topic 
3. Prire checking performances 
4. High level motivation to each one 
5. Easyly availabe on students suitable timinings . 
6. No personal disturbance . Full privacy is maintaned . 
7. Providing platforms to show your talents and skills 
8. Systamatic education .

Monday 23 November 2020

Sanskrit deshgaan

जयतु जननी जन्मभूमिः पुण्यभुवनं भारतं
जयतु जम्बूद्वीपमखिलं सुन्दरं धामामृतम् ।
पुण्यभुवनं भारतम् ॥

धरित्रीयं सर्वदात्री शस्यसुफला शाश्वती ।
रत्नगर्भा कामधेनुः कल्पवल्ली भास्वती ।
विन्ध्यभूषा सिन्धुरशना हिमगिरिशिखा शर्मदा ।
रम्य-गङ्गा-सङ्गयमुना महानदीह नर्मदा
कर्मतपसां सार्थतीर्थं प्रकृतिविभवालङ्कृतम् ॥ जयतु ॥

आकुमारी-हिमगिरेर्नो लभ्यते सा सभ्यता ।
एकमातुः सुतास्सर्वे भाति दिव्या भव्यता ।
यत्र भाषा-वेष-भूषा-रीति-चलनैर्विविधता ।
तथाप्येका ह्यद्वितीया राजते जातीयता ।
ऐक्य-मैत्री-साम्य-सूत्रं परम्परया सम्भृतम् ॥ जयतु॥

आत्मशिक्षा-ब्रह्मदीक्षा-ज्ञानदीपैरुज्ज्वलम् ।
योग-भोग-त्याग-सेवा-शान्ति-सुगुणैः पुष्कलम् ।
यत् त्रिरङ्गं ध्वजं विदधत् वर्षमार्षं विजयते ।
सार्वभौमं लोकतन्त्रं धर्मराष्ट्रं गीयते ।
मानविकता-प्रेमगीतं विबुधहृदये झङ्कृतम् ॥ जयतु  ॥

                -संगीत निबद्धम् राग भूपाली 
हरिओम जोशी 

Monday 16 November 2020

पहचान

खुशियों में खुशियों की कर पहचान । धन्यवाद हो उस ईश्वर की जिसने रचा जहान ।। 
ठोकर मुसीबत मुश्किल दौर परीक्षा के । हर पल हो कर साथ उसी ने हमको बख्शी हुई है जान ।।
जब तक श्वास है वही संग है चाहे मान ना मान । एक मात्र सब सत्य है ईश्वर मित्र शत्रु जो जान ।। 
🌹🙏🕉️🙏🌹दीपावली की हार्दिक शुभकानाये

Thursday 29 October 2020

ONLINE MUSIC STUDENTS

1. Mr. Rounak Doshi DOJoining 30-07-2020   Sat. & Tue . 9am x
2. Mishti 16 -08 -28 (M, T, TH, FR. )12 AM 
3. Yachna 20-08-20  ( SAT , TUE ) 7 AM 
4. Ali Rojani D. O. Join 27 July.  (SAT, SUN) 11-30 AM x
5. Preksha D.O.Join 15-09020 ( 1-6 ) 10 AM x
6. Shivani (M, TUE, TH  F, ) 8 AM x
7. Tanvi  070-10-20( FRI, SAT, MON TUE) 3pm
8. Geeta ON AVAILABLE
9. Suhani ( F,ST, M, T) 5 pm x
10. Mahi ( F ST M T ) 5PM x
11. Puja 3 PM × 
12. Vaibhav 20-08-20  4 PM
13. Haasini . (Sat , Sun ) 7pm ×
15 Jagritee Jwr Guitar2pm (Mon.Wed, fri ,Sat )  :‑X
16 . Vidit KOTA ×
17. Jaimin . Ahamdabad ×
18 viral . Ahamdabad ×
19. Shanaya Ahmedabad
20 vedant pune

Wednesday 14 October 2020

न राधा नाचेगी ।

करने वाले काम तो  करले 
अशुभ घड़ी भी शुभ हो जायेगी । 
जीवन की सुनहरी घड़ी ये  फिर ना फिर आयेगी 
नाकारा रहे तो दुनिया तेरी हँसी उडायेगी 
न नौमन तेल होगा ना राधा नाचेगी । 

Sunday 12 July 2020

पति चाहिए ।

बेटी सयानी हुई तेरी बापु

 उसे ना तेरा घर अब चाहिये ।

माना कि तेरी परी लाडली 

मगर मुझको खुशी चाहिए ।।

पति चाहिए अब पति चाहिए ।

छोटी थी कन्या समझती नहीं थी ।

 अपने ही बाबुल के आँगन पली थी ।

 मगर अब तो यौवन का सुख चाहिए ।।

नोट टेम्परेरी लोंग टर्म चाहिए ।

पति चाहिये मुझको पति चाहिए ।

कन्या का दान कर मान बढेगा । 

दामाद तेरा धर्म पुत्र बनेगा ।।

बेटी पराया धन कब मानेगा ।।

कन्या का श्राप  गर देर करेगा ।।  .

जीवन सफर संग साथ चाहिए । 

Wednesday 24 June 2020

हनुमान जी की जय

ॐ हन हनुमते मम् सर्व बाधा निवारय स्वप्न दर्शाय नमः ।।

Tuesday 16 June 2020

डिग्गी कल्याण राय की चमत्कारी कथा


                   "  जय डिगी कल्याणराय "
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कथावस्तु :- हरिओम जोशी 
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दृश्य -एक 
टेक्सास स्टेट अमेरिका का राज्य हौस्टन शहर स्थित लिज़ा नामक युवती को रात में सोते समय एक अद्भुत स्वप्न आया । उसने देखा एक सड़क पर बहुत अनजान जगह जहाँ कडी तपती दोपहर में भी अनेकों लोग ज़मीन पर लेटकर खडे होकर दंडवत कर रहे हैं और खडे होकर हाथ जोडकर फिर इसी क्रम में आगे बढते जा रहे हैं । हजारों की भीडभाड का दृश्य दिखाई दिया । फिर अचानक एक अद्भुत सुंदर चमचमाते वस्त्रों से सुसज्जित मूर्ति जिसकी ठोडी में एक बहुत बडा हीरा दमक रहा है । और लिजा की आँखों में उसकी चमक दिखाई दे रही है ।
सैंकडों लोग कतार में लगे उस मूर्ति के सम्मुख झुक रहे हैं । धूप दीप नैवेद्य प्रसाद वितरण कर रहे हैं ।
तभी लिजा चौंक पडी जब उसने देखा वही अति सुंदर मूर्ति उससे हाथों से आने का  संकेत करती उसे बुला रही है । 
और बरबस वह उसी की ओर बढ़ती जा रही है ।
मूर्ति की आवाज़ आती है ।
" come on my child come soon I am waiting to bless you,  come . 

और इतना देखते ही उसकी निद्रा टूट जाती है । 
और स्वयं को अपने बेडरूम में पाकर सपने का विचार उसको बेचेन कर देता है ।

साइड में पडे अपने लेपटाप पर जब वह उस मूर्ति की इमेज देखती है तो और भी चकित रह जाती है । गूगल पर उसकी जानकारी पाकर वह तुरंत अपना टिकिट बुक करवा कर जयपुर भारत आ जाती है । वहीं से होटल मेनेजर की मदद से उसे गाइड मिल जाता है । और वह उसी मनोरम स्थान अर्थात् डिग्गी आ जाती है । 
जहाँ सपने का साकार स्वरूप उसे दिखता है ।भगवान के दर्शन कर वह वहीं कुछ समय रुक जाती है आकर्षित हो कर एक बुजुर्ग सिद्ध साध्वी विद्यादेवी के आश्रम में आश्रय लेती है ।

विद्यादेवी से इस स्थान के बारे में बताने का आग्रह करती है ।  तब विद्या देवी गाइड की मदद से उसको अगले दिन से प्रवचन में शामिल होने को कहती है । 
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दृश्य - दो
अगले दिन प्रवचन होते हैं । तब भाषा कनवर्टर एप के जरिये लिजा कथा की जानकारी लेती हुई आनंदित होती है । साथ ही साध्वी जी का पूरा प्रवचन रिकार्ड भी करती है।

(डिग्गी के कल्याणराय जी के चमत्कारों से भरी कथाएँ ।) ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ          जय कल्याणराय ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
साध्वी विद्या:- (पार्श्व स्वर से बोल रही है और दृश्य स्क्रीन पर उभर रहे हैं)
"एक बार स्वर्ग के अधिपति इंद्र का भव्य दरबार सजा हुआ था । सदैव की भाँति सभी देवगण अपने अपने सिंहासनों पर विराजमान हैं । गँधर्व गान कर रहे हैं और अप्सराएँ नृत्य कर रही हैं । 
गीत 
( मधुरम् मधुरम् मुरली बाजे वीणा स्वर लहराये दसों दिशाएँ गूँज रही हैं  मृदंग त्रक तिन धिन तिय धाय । पदम् परागा गीत सुहागा नादा धि गिन गाय । नृत्य लुभावन शब्द शब्द पर अभिनव दृश्य सुभाय इंद्र की अप्सरा सुभाय .....)
नृत्य 
स्वर्गलोक की परम् सुंदरी अप्सरा उर्वशी क्रमबद्ध नृत्य की प्रधानता करते हुए बडे मोहक नृत्य से सभी देवों को रोमांचित कर रही थीं । मगर नृत्य करते करते ही इंद्र आदि  सभी देव गण तब बडे अचंभित रह गये जब उर्वशी ज़ोर से हँसने लगी । 
कोई समझ नहीं पाया कि आमोद प्रमोद के पलों में अचांनक उर्वशी को ये क्या हो गया । बिना कारण क्यों हँस पडी । 
तभी बृहस्पति देव वरुणदेव ने पूछ ही लिया । 
बृह0 :-"* देवी उर्वशी ! अचानक इस हँसी का क्या कारण है ? " 
बिना उत्तर दिये अप्सरा उर्वशी हँसती ही रही । 
वरुणदेव :- " देवी उर्वशी आप बृहस्पतीदेव के प्रश्न का उत्तर देने के स्थान पर लगातार हँस रही हैं ?
एक देव ने आवेश में आकर बोले
 "यह तो सरासर देवों के गुरू का अपमान है । बताईये क्यों हँस रही हैं आप  ? "
मगर उर्वशी पर कोई असर नहीं हुआ ।
आरुणदेव :- (खडे होकर इंद्र से )  महाराज इंद्रदेव आप देख रहे हैं देवी उर्वशी की उद्दंडता । ये लगातार हम सभी देवताओं का अपमान कर रही हैं ।
इंद्रदेव :- " हाँ अरुणदेव मैं देख रहा हूँ और समझ भी रहा हूँ । देवी उर्वशी बताओ आज आपकी इस उद्दंडता का  क्या कारण है ?" 
तीन बार इंद्रदेव ने अपना प्रश्न दोहराया तब उर्वशी हँसते हुए ही बोली । 
उर्वशी :- " महाराज क्षमा करें परंतु मुझे स्वयं नही पता मुझे क्यों यह हँसी आ रही है ? 
इंद्रदेव :- बिना कारण कोई हँसी नहीं आती देवी । और आप सभी देवताओं को जानबूझकर  अपमानित भी कर रही हैं  लगातार सबकी अवज्ञा करती आ रही हैं । 
उर्वशी :- मैं क्या करूँ देव हँसी रोकना स्वयं मेरे वश में नहीं है । ( वो अभी भी हँस रही थी ) ।
(तभी इंद्र को क्रौध आ गया और उन्होंने दहाडते हुए कहा । ) " बस उर्वशी  बहुत हो चुका । आपकी इस धृष्टता को इंद् के दरबार में अब सहन नहीं किया जा सकता । मैं आपको इसी क्षण  इंद्र लोक  से निष्काशित किया जाता है और मैं  स्वर्ग अधिपति इंद्र आपको श्राप   देता हू़ँ । आप इसी क्षण से  मृत्युलोक में वास करें । उर्वशी श्राप और दंड पाकर कांपने लगी और क्षमा याचना करने लगी किंतु इंद्र ने कठोर स्वर में कहा आप
बारह वर्षों तक वास करें । यही आपका दंड है । 

श्रापित होकर उर्वशी मृत्युलोक में  संतों साधुओं की सेवा करती रहीं और जब अपनी अवधि पूर्णकर  वह पुनः स्वर्ग लोक में जाने की प्रसन्नता में राजा डिगवा के  उपवन में नृत्य कर रही थी  तब उस सादगी सी दिखने वाली परम् सुंदरी उर्वशी पर राजा डिगवा मोहित हो गया और उसके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा । 
उर्वशी ने राजा को विनयपूर्वक अस्वीकार करते हुए उसे अपनी सच्चाई बतादी और कहा वह इंद्र की अप्सरा है और उसी को उस पर अधिकार है ।  
तब राजा डिगवा ने इंद्र को युद्ध की चुनौति दे डाली । वर्षोंतक इंद्रदेव के साथ युद्ध अनिर्णित रहा । तबतक उर्वशी भी स्वर्ग नहीं जा सकी थी और राजा डिगवा की ही बंदिनी बनी रही थी । 
अंत में अनेकों वर्षोंतक लडते लडते आखिर राजा परास्त हो गया । मगर उर्वशी ने मुक्त होते ही राजा को कुष्ठ रोगी हो जाने का श्राप दे डाला । 
अब राजा कोढ़ी होकर वन वन भटकता फिर रहा था । किसी नगर ग्राम में कोई उसको प्रवेश नहीं करने देता था । तभी एक दिन भूख प्यास से बेहाल राजा उन्हीं संतों के आश्रम के निकट अचेत हुआ पड़ा था । तभी भगवान कल्याण राय जी की भक्ति आराधना करते संतों की वाणी सुनकर उसे पीडा से कुछ आराम आया । संतों का दिया प्रसाद खाकर राजा कुछ सचेतावस्था में आया और वहीं रहकर कल्याणराय जी की भक्ति आराधना करता रहा । और संत आश्रम में सफ़ाई करने लगा।
तब एक दिन भगवान ने उसको स्वप्न में दर्शन दिया और अपने होने का प्रमाण देकर कहा मेरी मूर्ति जहाँ गढ़ी हुई है वहीं स्थापित करो और पूजा अर्चन करो तो तुम्हें पुनः स्वस्थ देह और सारा राजपाट मिल जाएगा । 
राजा ने वैसा ही किया और सुख प्राप्त किया । 

Tuesday 24 March 2020

SAI KI VIBHUTI KA CHAMATKAR DEKHIYE LYRICS AND MUSIC COMPOSED BY HARIO...

<iframe width="459" height="344" src="https://www.youtube.com/embed/UHznukrFzdY?clip=  THIS SONG IS DADICATED TO SHIRDI SAI BABA

Friday 13 March 2020

सोचो ज़माने वालों। गीतकार संगीतकार हरिओम जोशी

कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए सार्थक जन चेतना गीत
*****************************************
" सोचो ज़माने वालों....
गीतकार संगीतकार हरिओम जोशी
::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

कन्या का कौंख में ही दम घोंट देने वालों।
बेटी के जीने का तुम हक छीन लेने वालों।।
अरे इंसाँ है बेटी भी तो सोचो ज़माने वालों।। ।

1. इक भ्रूण को कुचल के क्या वीरता दिखाते।
     अपना ही खूँन पीकर खुशियाँ जताने वालों।
     अरे इंसाँ है................

2. क्या शान पाओगे तुम निष्प्राण उसको करके।
    अपनी ही भाग्य रेखा खुद ही मिटाने वालों।।
     अरे इंसाँ है............
3. इंसानियत के दुश्मन हत्यारे बन गये तुम।
    नन्हीं कली का जीवन हक छीन लेने वालों
    अरे इंसाँ है बेटी भी तो सोचो ज़माने वालों।

गीतकार संगीतकार हरिओम जोशी
।।।।। ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।

Monday 9 March 2020

जाना नहीं दूर हमसे एतबार टूटे नहीं ः गीत संगीत हरिओम जोशी

एतबार टूटे ना
§§§§§§§§

जाना नहीं दूर हमसे।
एतबार टूटे ना।
दिल ये  जुडा है तुम से।
एतबार टूटे ना

बापू मारवाड़ परणाई रे। ऊँचो फेरण घाघरो गीत संगीत हरिओम जोशी

बापू मारवाड़ परणाई रे

ऊँचो फेरण घाघरो रे

लाजण मरगी रे

असी कली छे घाघरो जी घूमर घेरो जाय

ड्योढ़ी ड्योढ़ी झूमे गौर्यां श्रम कदे नई आय।।
जोबण री झणकारी रे। बांडो लागे घाघरो रे
लाजण मरगी रे।
बापू.......

Sunday 8 March 2020

सूर्य के 21 नाम


विकर्तनो विवस्वंश्च मर्तण्तो भास्करो रवि
लोकप्रकाशकः श्रीमान् लोकचक्षुर्ग्रहेश्वरः।।
लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्त्ता हर्ता तमिश्रहा
तपन तापनश्चेव शुचि सप्ताश्ववाहनः।
गभस्तिहस्त ब्रम्हा सर्वदेव नमस्कारः।।

Thursday 5 March 2020

बुजुर्ग ही हमारे संरक्षक हैं (कहानी :हरिओम जोशी)

                      "घर की इज्जत"
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कहानी :- हरिओम जोशी
दृश्य ः एक

विशाल आलीशान मकान के एक कमरे में बूढ़े माता-पिता रहते हैं और इसी कमरे के एक कोने में उन्होंने अपने खाने पीने की व्यवस्था एक छोटी सी रसोई के रुप में कर रखी है। मात की तबीयत खराब है फिर भी वह अपने और पति के लिए खाना बनाने के लिए रसोई में जा रही है।
पति :-" भाग्यवान तुम्हारी तबीयत खराब हो रही है। चलो तुम्हें डाक्टर के पास ले चलता हूँ।"
पत्नी :- " नहीं जी ऐसी कोई खास खराब नहीं है। आप चिंता मत करो।"
पति :-" कैसे खराब नहीं है (सहारा देकर उठाने लगता है) चलो उठो। काम बाद में कर लेना।
पत्नी : (हाथ से उनको रोकती है) अरे नहीं जी बस थोड़ा सा ही तो खाना बनाना है। बस अभी कर लेने दीजिये फिर चलूँगी। आप तब तक अखबार पढ लीजिये ना।
(पति अखबार उठाकर अपनी चारपाई पर बैठने लगता है तभी कमरे से बाहर हाल की तरफ से तेज़ तेज आवाज में संगीत बजने लगता है और कुछ लोगों के हँसने बोलने और तालियों की आवाजें आने लगती है।
हेप्पी वेडिंग एनिवर्सरी राहुल।
एंड मेघा।
राहुल :- थैंक्यू जितेश।
मेघा :- थेंक्यू।
राहुल :- आज इस खुशी के मौके पर आये हो लेट्स हेव ए ड्रिंक।
जितेश :- " हां यार क्यों नहीं।" मेघा आप भी लो थोड़ी सी "
मेघा :- " नहीं आप लोग एंजॉय करिये तब तक मैं आपके लिए गरमागरम पकौड़े तैयार कर के लाती हूँ।
पति (क्रौध में भर कर) यहां तुम उसकी माँ बीमार हो और वो नामाकूल वहाँ जश्न मना रहे हैं। "
पत्नी :- अजी जाने दीजिये ना आज उनकी शादी की सालगिरह है। मनाने दीजिये उनको क्यों गुस्सा करते हैं।
पति :-" तुम्हारे लाड प्यार का ही नतीजा है। माँ-बाप को एक अलग कमरे में बंद कर दिया है। और अपनी अय्याशी कर रहा है। अपनी बीवी के साथ।
पत्नी :- " उसकी उम्र है जी खुशियां मनाने की आप क्यों उस पर.....?
पति (व्यंग्य के साथ चिढ़ के) " हाँ यही तो उम्र है उसकी माँ बाप को एक कमरे में बंद कर फटकने की। मेरा घर होते हुए मैं ही बाहर से आना जाना करुं और लाट साहब। मौज करें।
पत्नी :- आपकी ज़िद के कारण ही यह सब होने लगा है।
पति :-" अच्छा। मेरी ज़िद। यह सब उसके नाम कर दूँ और तुमको लेकर सडकों पर मारा मारा फिरुँ।
पत्नी :- आप उसे गलत समझ रहे हैं। हमारा बेटा ऐसा नहीं है।
पति :-" वो तो दिख रहा है। कैसी माँ हो तुम?
नहीं दिया तब तो यह हाल है और दे देता तो जाने क्या क्या करता। "
पत्नी :- " क्या करूँ माँ हूँ ना। बेटा कपूत हो सकता है लेकिन माता कुमाता नहीं हो सकती है।
( तभी हाल में से बहू के चीखने-चिल्लाने की आवाजें आने लगी।)" अजी देखिये तो क्या हुआ है बहू क्यों चिल्ला रही है?
पति :-" मैं क्यों देखूँ होने दो जो भी हो रहा है।
मेघा  :- अरे छोड़ मुझे नीच आदमी। राहुल प्लीज़ बचाओ मुझे।
पत्नी :-  अजी जाईये बहू को बचाईये। ज़रूर कोई बात है।
पति ( बहू की चीख पुकार सून के उसे भी रहा नहीं गया और कमरे का दरवाजा खोल कर जब उसने देखा तो दंग रह गया। आँखें फटी रह गईं। अपने घर की इज्जत को राहुल के दोस्त जितेश के हाथों छटपटाते देख बूढ़े बाप की आँखों में खून उतर आया। उसने देखा राहुल नशे में धुत्त पड़ा है और उसकी पत्नी को ग़ेर मर्द ने जकड़ा हुआ है और वह आजाद हो ने को छटपटा रही है। झट से उसने जितेश का कालर पकड़ा और पीछे गिरा दिया। मेघा ने तुरंत अपने आप को आजाद होते ही संभाला। लेकिन तभी जितेश फिर खड़ा हो गया और बूढ़े की झटका देकर दूर गिरा दिया और फिर से मेघा की ओर बढ़ने लगा। लेकिन इस के पहले कि वह उसे पकड पाता बूढ़े बाप ने पास ही पडे पाइप से उसके सिर पर वार कर दिया। इसके बाद भी वह नहीं रुका और उसकी मरम्मत कर के घर से बाहर गली में डाल दिया।) 

घर में वापस आकर जब वह पीछे के रास्ते से अपने कमरे में जाने लगा तो मेघा ने दौडकर उसके पैरों में गिरकर क्षमा मांगी।
मेघा :- " बाबूजी मुझे माफ कर दीजिए। 
पति :- " माफी मांगने की जरूरत नहीं है बहू।
मेघा :- " नहीं बाबूजी मेरी ही गलती से आप अलग रहने लगे हैं। मैं बहुत गुनहगार हूँ आपकी। मुझे माफ कर दीजिये।( रोने लगती है) आज आप नहीं होते तो मैं किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रह पाती।

पत्नी :-" बहू हम चाहे कैसे भी करके इस कमरे में रह लेंगे। लेकिन अपने घर की इज्जत कैसे लुटने दे सकते हैं।
मेघा :-" आप मेरे बारे में इतना अच्छा सोचते रहते हैं और मैं ही कितनी बदनसीब हूँ अपने माता-पिता समान सास-ससुर को अपमानित करती रही। माँजी बाबूजी मुझे माफ कर दीजिए। और अब से मैं ही आपकी देखभाल करूंगी।
दोनों ने खुलेदिल से बहू को माफ कर दिया।

Wednesday 4 March 2020

BOON MUSIC ACADEMY JAIPUR

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My music

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Thursday 27 February 2020

सामुहिक सुंदरकांड पाठ का सही तरीका

सर्वमंगलकारी स्वयं सिद्ध सुख सम्पन्नता एवं यश- वैभव प्रदान करने वाला गोस्वामी तुलसीदास जी रचित श्री रामचरित मानस के पंचम सोपान सुंदरकांड का पाठ लगभग सभी श्रद्धालुओं के द्वारा घर में या मंदिर में अथवा सामाजिक मानसमंडल के सदस्यों के साथ मंगलवार शनिवार को किया जाता है। भारतीय सनातन धर्म के अनुसार इस पाठ के किये जाने से समस्त भय और शत्रु नष्ट हो जाते हैं और पाठकों को अतुल्य सुख वैभव और यश की प्राप्ति होती है।
किंतु क्या आप जानते हैं कि सर्वश्रेष्ठ फलों को प्रदान करने वाले इस पाठ को किस प्रकार से किया जाये तो सामुहिक रूप से सभी पाठकों को भी उसका पूरा लाभ मिलेगा।
इसी विचार के साथ प्रस्तुत है सुंदरकांड पाठ का सामुहिक पूजन करने का सर्वश्रेष्ठ तरीक़ा।

Wednesday 5 February 2020

मान ले म्हारी बात । गीतकार संगीतकार हरिओम जोशी

Male

अरे मान ले म्हारी बात गौरी चाल तू म्हारे साथ ।
मुहब्बत री दुनिया में ले जाऊंगो ।

Female
पीछो छोड तू चाल न लार बिन मौसम बारिश री धार । थारा चक्कर मूँ ना आऊंगी । तने थाणा  री सैर करा दूँली ।
Male .
अरे तू थाना में जो लार करूँ मंजूर थारी बात
अँधेरो लावेली जब रात जैल री कोठरी नम्बर 7
तने सीना में छुपा लूँगो नस नस में प्यार जगा दूँगो ।
Female
जो डंडा मारे थानेदार  इशक रो भूत दे  रे उतार ।
थारी नस-नस री सूजन सूँ उतर जावेलो सारो प्यार ।
छटी री मार पडा दूँगी मरी नानी री याद करा दूँगी ।।
Male
जो थारा प्यार रो यो इनाम देवेलो थाना रो सरदार 
 सजादूँ लो मांग थारी। म्हारा खूँन री बहती थार।।
Female (नायक के मुँह पर हाथ रखकर)
मैं थारी हीर बण जाऊँगी। थारी जन्नत री सैर भी कर लूँगी।

गीत संगीत हरिओम जोशी । 

Sunday 2 February 2020

शुभकामना गीत

इस पल तो हम साथ साथ हैं
अगले पल से ज्ञान ज्योति के
मंगलदीप जलाना ।
शुभकामना -3 लेते जाना ।

तांडव करते कष्टों से तुम

लडते जाना मत घबराना
कदम कदम पर होगी चुनौति

दृढ निःश्चय कर बढते जाना ।

शुभकामना -3 लेते जाना ।

Tuesday 7 January 2020

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