श्याम सुंदर मन मोहन माधव मेरे मन भावन है । 
वृँदावन का गैया चरैया चित चुरैया कान्हा है ।।
आआओ कान्हा 
बंसी बजा ओ 
बँसी की धुन सुन गोकुल में जैसे आया सावन है ।
श्याम सुँदर  .......
1. गोपिन ढूँढे ग्वालन ढूँढे ढूँढे गैया कृष्ण तुम्हें 
डारी कदम्ब की यमुना नीरे खाय हिलोरें ढूंढे तुम्हें 
भक्ति का सागर ,2 झूम रहा हर मन को तेरी चाहत है 
मेरे गिरधर .... नटवर नागर ....
सूर की वाणी राधा रानी  मीरा गाती जीवत है । 
श्याम सुंदर ......
3. एक तरफ है भक्ति का रेला जय जय गूँजे नाम तेरा 
नानी बाई भोग जिमावे तंदुल मित्र सुदामा तेरा -2
अर्जुन का रथ .-2 हांकने वाले गीता ज्ञान सुनावत है । 
योग बतावे ...... कर्म सिखावे .....
भाव का साथी भक्त का साथी खाटू में पुजवावन है । 
श्याम सुँदर ..............
पूतना मारी कुबजा तारी  कालिय नाग पछाडत हैं 
चाणूर मारे कँस पछाडे संतन सिद्धि बचावत है ।  
 देवकी माँ वसुदेव के लाला  नंद यशोदा पालत है ।
जगत पालक राधेकृष्ण
 माखन चोर नंद को छोरा 
 गोकुल रास रचावन हैं 
श्याम ....
 
  
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