मैं एक पृथ्वी पर रहने वाला जीव हूँ। मेरा जन्म इसी 🌍 धरती पर ही हुआ है । मुझे मनुष्यों के द्वारा 🌳 🌳 पेड़ दरख्त तरु आदि नामों से जाना जाता है । आपको भी पता होगा कि आप जब छोटे से गांव कस्बे शहर 🌆 के बाद अत्याधुनिक सुविधाओं की ओर बढ़ते गए तो मेरी अहमियत भी नहीं 👎 रही। कभी मुझसे घने जंगलों में बहार हुआ करती थी। मेरी डालियों पर पंछियों का बसेरा हुआ करता था। उन पंछियों की तरह-तरह की आवाज़ें जंगलों में मधुर संगीत 🎶 घोल देती थी। लेकिन अब ना इतने जंगल बचे ना जंगली जानवर ना पंछी । सबकुछ तुम 😋 नादान इंसानों ने खत्म कर दिया है। और जो कुछ थोड़ा बहुत कुछ बचा है उसे भी खत्म कर दोगे।
मैने तुमको क्या कुछ नहीं दिया। फल 🌸 🌸 फूल पत्तियाँ लकड़ी दवाई 🏡 बनाने की इमारत बनाने की लकड़ी।
बदले में तुम मनुष्यों ने मुझे क्या दिया ? सिर्फ विनाश।
अब भी 🕒 समय है वक्त रहते मेरा विनाश रोको वरना आने वाली पीढ़ियों को तुम कुछ भी नहीं 👎 दे पाओगे।।।।।
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गीत
मैं हूं वृक्ष मुझे ना काटो । काट काट कर मुझे ना बांटो ।
पंछी मेरी डाल पर बसते। चीं चीं -2 कू कू करते ।
मैं हूं वृक्ष मुझे ना काटो
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