पिता की सख्ती या पुत्र  को प्रेम 
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क्या एक पिता किसी भी दृष्टि से अपने पुत्र का अहित सोच सकता है । या उसकी कामना होती है कि मेरा पुत्र कहीं भी असफलता का मुख देखे ।
उत्तर निःश्चित ही नहीं में आता है ।
फिर एक ही घर में रहते हुए परस्पर विरोधाभास और टकराव का वातावरण क्यों बनने लगता है ।
क्यों पिता पुत्र एक ही घर में अजनबियों की तरह दिखाई देने लगते हैं । 
इसके कई कारण स्पष्ट हो सकते हैं । 
विचारों में असमानता ।
महत्वकांक्षाएं 
आर्थिक अवस्था 
दिशाहीन भविष्य  की पात्रता ।
                  -:-एक पिता की  कामना-:-
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      ऊँचाई को छू लेना तुम आसमां की बुलंदी तक
      चांद सितारों से भी ऊपर अनंत ऊंचे अंबर तक 
     
    जो मैं कर न सका जीवन में उसको तुम पूरा करना ।
      मेरी आस अधूरी को तुम मेरे रहते सच करना ।।
    ना जाने कब काल घडी जीवन ये लेने आजाए ।
    सुंदर सपनों का जगत् ये पल भर में छिन जाये ।।
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