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Thursday 21 June 2018

आसमाँ को क्या गरज़( ग़ज़ल ) हरिओम जोशी

ग़ज़ल :-  आसमाँ को क्या ग़रज़ ।


      जिंदगी में हर किसी की 
      हो खुशी मुमकिन नहीं ।
      ग़म के बादल ना कभी
      छाये हों मुमकिन नहीं ।।

     आसमाँ पर चाँद कैसा 
      आसमाँ को क्या ग़रज़ ।
      हो कभी उस पर असर 
      ये कभी मुमकिन नहीं ।।

      दिल की दौलत प्यार हो
      या ग़मे दिलदार हो ।
       शम्मा ठंडी आँच दे 
       परवाने को मुमकिन नहीं ।।
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