परछाईयाँ दिखने लगी
मेरे ख्वाबों की ताबीर होने लगी
ये मेरी इबादत है या तेरी इनायत है ।
आ आ आ आ आ मेरे हम नशीं ।
ज़िंदा हूँ मैं बस तेरी ही ख्वाहिश लिये
पाया तुझे ही आया सुकूँ मुझे ।
ये मेरी मुहब्बत है । या तेरी अक़ीदत है
आँ ......... मेरे दिल नशीं ।
डरता हूँ अब हसीं साथ ये । ख्वाबों की ताबीर से ।
लुट जाये ना लगता है डर भी मुझे ।
ये मेरी शहादत है या तेरी ज़मींयत है ।
आँ ....... मेरे खुदा ।
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