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Tuesday 8 May 2018

hari om & aritika lakhda tari ke mandir me

 पांडव पुत्र भीम का पुत्र घटोत्कच हुआ और उसका पुुत्र बर्बरीक हुु आ जो कि महान बलवान और तपस््वी  तथा महादानी था।  महाभारत काल में जब वह अपने अजेेेय
तीन बाण प्रहार करते थे तो शत्रु सेना की भारी क्षति हो रही थी । लेकिन इस योद्धा की यह युद्ध नीति विकट स्थिति में थी। वह जिस पक्ष में भारी हार होती थी उस तरफ से युद्ध लडता था।  तब श्री कृष्ण ने इस बात की गंभीरता को देखते हुए बर्बरीक से दान में शीष मांग लिया।  अपने वचन का पालन करने के लिए बर्बरीक ने अपलक अपने शरीर से स्वयं काट कर शीष भगवान श्री कृष्ण को समर्पित कर दिया।  तभी से यह शीष खाटूश्याम बाबा के नाम से पूजनीय है और इनके दर्शन करने के लिए लाखों भक्त दूर दूर से आते हैं।  

वक्त की परछाइयाँ "

             "  उम्र के मुकाम पर पहुंच गई ज़िंदगी "
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ये है वक्त की परछाइयाँ।  ज़िंदगी की अंगडाइयां ।।
नाजुक था जिन पर और यकीं था
प्यार मुहब्बत का  मकीं था
ग़म में हों या फिर खुशी की
सारी बातें दरमियाँ।
ये है वक्त की परछाइयाँ........