पांडव पुत्र भीम का पुत्र घटोत्कच हुआ और उसका पुुत्र बर्बरीक हुु आ जो कि महान बलवान और तपस््वी तथा महादानी था। महाभारत काल में जब वह अपने अजेेेय
तीन बाण प्रहार करते थे तो शत्रु सेना की भारी क्षति हो रही थी । लेकिन इस योद्धा की यह युद्ध नीति विकट स्थिति में थी। वह जिस पक्ष में भारी हार होती थी उस तरफ से युद्ध लडता था। तब श्री कृष्ण ने इस बात की गंभीरता को देखते हुए बर्बरीक से दान में शीष मांग लिया। अपने वचन का पालन करने के लिए बर्बरीक ने अपलक अपने शरीर से स्वयं काट कर शीष भगवान श्री कृष्ण को समर्पित कर दिया। तभी से यह शीष खाटूश्याम बाबा के नाम से पूजनीय है और इनके दर्शन करने के लिए लाखों भक्त दूर दूर से आते हैं।
तीन बाण प्रहार करते थे तो शत्रु सेना की भारी क्षति हो रही थी । लेकिन इस योद्धा की यह युद्ध नीति विकट स्थिति में थी। वह जिस पक्ष में भारी हार होती थी उस तरफ से युद्ध लडता था। तब श्री कृष्ण ने इस बात की गंभीरता को देखते हुए बर्बरीक से दान में शीष मांग लिया। अपने वचन का पालन करने के लिए बर्बरीक ने अपलक अपने शरीर से स्वयं काट कर शीष भगवान श्री कृष्ण को समर्पित कर दिया। तभी से यह शीष खाटूश्याम बाबा के नाम से पूजनीय है और इनके दर्शन करने के लिए लाखों भक्त दूर दूर से आते हैं।