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Tuesday, 25 May 2021

संगीत साधकों के लिए सप्तक और स्वरों की जानकारी

संगीत संगीत गायन वादन एवं नृत्य इन 3 कलाओं से मिलकर बना है ।
संगीत में स्वरों की विशेष भूमिका होती है । 
स्वरों से ही संगीत में गायन और वादन किया जाता है ।

जैसा गायन और वादन होता है उसी के अनुरूप नृत्य भी सन्निहित होता है ।
     स्वर पहचानने की सरलतम जानकारी
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आज हम इस प्रकार की जानकारी आपको देना चाहते हैं कि जब आप संगीत गायन और वादन सीखते हैं तो स्वरों को उनके स्थान को कैसे पहचानेंगे । 
इस अध्याय में हम आपको यह बताते हैं आप जब गायन वादन सीखते हैं तो सबसे पहले आपको जिन सात स्वरों को सिखाने के लिए अभ्यास करवाया जाता है उनके नाम सा रे ग म प ध नी है ।
                 मध्यसप्तक 

जैसे ही आप सुषिर वाद्य यंत्र  पर इन सात सुरों को बजाते हैं तो आपकी उंगलियां मुख्य रूप से मध्य सप्तक के स्वरों पर घूमती है । सा रे ग म प ध नी अर्थात जिन स्वरों को आप बजाते हैं उसको अंग्रेजी में मीडियम स्केल या मैन स्केल समझें  । संगीत की भाषा  में ये मध्य सप्तक कहलाते हैं ।
                      तार सप्तक
 जैसे ही आप सा रे गा मा प ध नि से चलकर ( सां )  पर पहुंचते हैं तो आप देखिए ऊपर सा पर बिंदु लगाया हुआ है । इसका अर्थ यह हुआ कि नी बजाने के  बाद जो स्वर आता  है वह सां है ।  उसके ऊपर बिंदु है । 
अर्थात यह तार सप्तक का स्वर्ग बन जाता है ।
 इस तरह से अंग्रेजी में इसे अपर स्केल बोलते हैं और हिंदी में हम इसको तार सप्तक कहते हैं सां  के बाद ऊपर जितने भी स्वर आते हैं उन पर बिंदु लगाई जाती है और वे सभी स्वर तार सप्तक के स्वरों की श्रेणी में आते हैं। 
इसी तरह जब आप मध्य सप्तक का अर्थात प्रारंभ का सा बजाते हैं तो उससे पहले जो नीचे सफेद स्वर् होता है । जिसको नि कहते हैं नी तो उसकी पहचान के लिए उसके नीचे बिंदु लगाया जाता है ।( नी़ )  इससे यह स्पष्ट होता है कि यह स्वर जो नीचे उतरता है इसको अंग्रेजी में लोअर स्केल और हिंदी में मंद्र सप्तक कहा जाता है ।
      यह सभी आरंभिक स्वर जो आप सीखते हैं । संगीत के अंतर्गत शुद्ध स्वर कहलाते हैं ।
                कोमल /तीव्र स्वर की पहचान 

इसके अतिरिक्त स्वरों में कोमल/तीव्र  और शुद्ध की पहचान कैसे की जाती है यह हम इस अध्याय में आपको बताने जा रहे हैं । 
कोमल स्वर चार होते हैं ।
 रे ग ध नी ।
 जो कि अपने स्थान से नीचे उतरते हैं । 
अर्थात जोर रे आप शुद्ध बजाते हैं उससे पहले वाला स्वर कोमल रे स्वर बन जाएगा ।
 जो आप ग बजाते हैं उससे पहले वाला स्वर ग कोमल बन जाएगा‌ ।
 जो ध आप बजाते हैं । उससे पहले वाला स्वर ध कोमल बन जाएगा ।
 जो नि  बजाते हैं उसके पहले वाला स्वर नी कोमल बन जाएगा ।
 इस तरह से यह स्वर जब भी नीचे उतरते हैं या पीछे की ओर बजते हैं ‌तो इनके नीचे इनकी पहचान के लिए ऑडी लकीर खींच दी जाती है ।
 इससे यह पहचान होती है कि यह कोमल स्वर हैं ।
 शुद्ध स्वरों में कोई चिन्ह नहीं होता ।
इसके अतिरिक्त एक स्वर होता है म जो अपने स्थान से नीचे नहीं उतर के ऊपर उठता है वह है मां पंचम और मध्यम के बीच में जो नीचे स्वर्ग होता है वह अपने स्थान से अर्थात अपने स्थान से ऊपर उठकर तीव्र बन जाता है उसकी पहचान के लिए म के ऊपर खड़  लकीर लगाइ जाती है । 
और इस तरह से (सात शुद्ध स्वर)( चार कोमल स्वर) और एक तीव्र स्वर मिलकर 12 स्वर कुल बनते हैं उनमें से मुख्य सात स्वरों को ही उपयोग में लेने का नियम है यह जानकारी आपको कैसी लगी इसको अपने पास लिख ले या अपनी स्मृति में रख लें धन्यवाद ।

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