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Sunday, 17 April 2022

मेरे सरपरस्त

मेरे सरपरस्त मेरे रहबर
मेरे अवगुणा हर 
चिंता हर ले चिन्तन भरदे
इक खल प्राणी पर कृपा करदे
ना जीना पड़े यूं मर मर कर
मेरे अवगुणा हर

1.जन से सज्जन से जननायक करदे 
नि: स्वार्थ निष्फल जीने की चाह भरदे।
धन से चाहूं निर्बल होऊं -२
रहे सदा कर्मों से ऊंचा ये सर 
मेरे अवगुणा हर

2. पुरुषार्थ का धन पाऊं
ऐसी मेरी झोली भर दे 
सभ्याचार का पाठ पढूं
सदाचार का कायल करदे
जन-जन में ईश को देखूं
ऐसी दिव्य हो दृष्टि ऐसा हो मीठा स्वर
मेरे अवगुणा हर 

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