म्हारा जोबन रो भरतार।
तू कठे सूं बोले रे।।
म्हारी भरतपुरी नवनार
काट के दुश्मन सर इक बार
रण भूमि सूं बोलूं ये
म्हारी पायल करे झणकार।
थारी बांट जोवतां सरदार।
कठे तू मूंछां मरोड़े रे ।।
दुश्मन रो
आऊंलो में अबकी बार ,
जो हर लूं धरती मां रो भार
तो थारे संग जिऊंगो रे।।
1.कठे सूं बोले रे बलम तू मूंछां मरोड़े रे ।
आवेलो तू शुक्रवार तूं वादो कर गयो हो ।
थारी बांट में साजन सोला सिणगार कर्यो हो ।
अब हो गयो शनिवार तूं कठे ने डोले रे
कठे तू मूंछां मरोड़े रे ।
** रणभूमि में दुश्मन कर रह्येयो ललकार
जन्मभूमि री रक्षा खातिर खेंच रखी तलवार
थारी प्रीत री ताकत से रण जीत लूंगो रे
जीवन जीता रह्यो अगर मिलन होगो रे
2. गोरी गोरी बाह्यां म्हारी थारे गला को हार ।
धूल चटादे दुश्मन सगला मनाऊंली त्योहार
थारी बाट जोहता साजन तन मन हिंजरे रे
्््््््््् म्हारी फिकर न करजे रे
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