राहें नई दिखा जाता जो दुःख से भरे जहान को
ढूंढ रही है कब से दुनिया उस सच्चे इंसान को।।
अंगारों पर चलने वाला दीपशिखा सा जलने वाला
जिसने पिया ज़हर का प्याला पर बांटा जग को उजियारा
आंच नहीं आने दी जिसने संकट में भी आन को
ढूंढ रही है.......
जिसने सुख की बात न जानी तूफानों से हार न मानी
अंगद सा निश्छल अभिमानी धर्म नीति की अडिग कहानी।
सीना फाड़ दिखा डाले जो तन में ही भगवान को
ढूंढ रही है..........
जिसने औरों को अपनाया, मानवता का मान बढ़ाया
हंसकर कंटक पथ अपनाया
पीठ दिखाकर जो न भागे। रणधीरों सी शान को
ढूंढ रही है कब से दुनिया
उस सच्चे इंसान को
राहे नहीं दिखा जाता
जो दुख से भरे जान को
ढूंढ रही है कब कब से दुनिया
उस सच्चे इंसान को
इतिहासों के स्वर्णिम पन्ने जिनके नाम की गाथा गाते
राजपुताना आन बान और शान की हर पल महिमा गाते
ऐसा शूरवीर जो रण में शत्रु प्रशंसित जहान को
ढूंढ रही है कब से दुनिया उस सच्चे इंसान को
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