मां तू ही बता अब कैसे, पार करूं तेरी दहलीज को ।।
सूनी अखियां............
पांव लगे ये डगमगा कर, बचपन की कड़ियां जुड़ने।
जब उंगली पकड़ कर सहमी सी मुझे लेजाती थी छोड़ने।। देश विदेश में घूमी मैं , लगी हूं भागने दौड़ने।
दूर दूर तक पीछा करती, इक टक तेरी निगाहें।
आज उखड़ी हैं सांसें लंबी लगती हैं राहें।
जानें कब नसीब होंगी तेरी बिछड़ी ये बाहें।
छीन झपट कर भग जाती थी तेरे घूंघट को
मां मुड़ मुड़ कर देखूं मैं , तेरी चोखट को।
सूनी अखियां तलाशे......
पापा कहा तेरा पल पल का है साथ।
भाई बहनों को संगत भरी सोगात
सहपाठियों की नित नई जमात
वो मीठे रिश्ते दे गई दस्तूर ले चले हैं
मुझको तेरी ज़िंदगी से दू,र।
बस दिल में छुपाए रखना अपनी नटखट को।
मां मुड़ मुड़ कर देखूं मैं तेरी चोखट को
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