टीवी पर प्रसारित न्यूज़ चैनलों पर एक ही खबर तेजी से वायरल हो गई थी।
अशफाक और उसके साथी फ़ौजी विकास। कश्मीर पूंछ इलाके में दहशतगर्दी घुसपैठियों से मुठभेड़ कर रहे थे।
तभी अचानक अशफाक की नजर एक आतंकी पर पड़ी
वो उसकी फायरिंग रेंज से दूर आड़ लिए छुप कर विकास पर निशाना साधते हुए गोली दागने ही वाला था ।
कि तभी उसने छलांग लगा कर विकास को दूर धकेल दिया।
इसके पहले कि वह अपनी गन प्वाइंट पर निशाना साधता आतंकी की गोली उसके सीने में पाबस्त हो गई।
लेकिन गोली की परवाह किए बिना अशफाक ने भी अपनी गन से उस आतंकी का काम तमाम कर दिया।
तब तक विकास भी समझ चुका था।
उसने भी जान बचाकर भागे आतंकियों को
अपनी गन से भुन डाला।
अशफाक ने मरते मरते भी उसने खड़े हो कर दस और आतंकियों को ढेर कर दिया।
और अंत में भारत माता की जय बोलते हुए या अल्लाह कह कर शहीद हो गया।
विकास ने उसको अपने गले से लिपटा कर फूट-फूटकर बिलखने लगा।
तब तक आस पास गश्त कर रहे सैनिकों ने उन्हें संभाला और हेड क्वार्टर को वायरलैस पर सूचना दे दी।
जब यह खबर टीवी चैनल फर अश्फाक की बेटी नूरी ने सुनी और अपने अब्बू को पहचान गई
तो ज़ोर ज़ोर से चीख कर अपनी अम्मी को बुलाने लगी।
उसकी मां भी दौड़ कर आशंकित सी टीवी पर प्रसारित न्यूज़ सुनकर बेहोश हो गई।
लेकिन जब उन्हें होश आया तो अपने पड़ोसियों को इर्द-गिर्द देखा ।
जो गर्व से कह रहे थे।
अशफाक भाई भारत के सच्चे सपूत थे।
उनकी कुर्बानी देश के मुसलमानो पर शक करने वालों को एक सबक है।
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