विक्रांगी के दरबार में
जनम सफल हो जाता है,
दुःख संकट सब मिट जाता है।
विरात्रा के दरबार में।
1.मरुभूमि में पावन मंदिर चौहट्टन की धरती पर,
दर्शन करने आते लाखों जगजननी मां के दर पर,
रुको नहीं चले चलो मां अम्बे के दरबार में।
अंबे के दरबार में विक्रांगी के दरबार में।
चलो चलें........
2. जो भी आया इस मंदिर में दर्शन कर सुख पाया है। खाली झोली में पायी मुरादें चरणों शीष झुकाया है।
शंका वहम नहीं चलता इस मैया के दरबार में
चमत्कार भक्तों को दिखता विरात्रा के दरबार में
चलो चलें.......
3. तेरी महिमा बड़ी निराली शब्दों में मंढती नहीं।
तेरे मां उपकार घणेरे कहते जीव्हा थकती नहीं।
हम नादानों को कर क्षमा मां बुलवा ले दरबार में।
तेरी कृपा से ही तो माता हम सब हैं संसार में
चलो चलें चलो चलें विक्रांगी के दरबार में
******///गीत संगीत हरिओम जोशी///********
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