कब से हूं ?
क्या करना था ?
क्या कर रहा हूं
किस लिए आया था ?
किसने भेजा था?
क्यों भेजा था?
क्या मैं सफल हूं?
क्या मैं जो कर रहा हूं वो सही है?
मैं किन लोगों के साथ हूं
वो कौन है, क्या है उनकी सोच क्यों मुझसे जुड़े हैं मैं उनके साथ क्यों जुड़ा हूं।
अपने आप से सवाल करना स्वयं ही हल ढूंढ कर सही ग़लत, श्रेष्ठ घृणित एवं हित अनहित का निर्णय करना ही आत्ममंथन कहलाता है।
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