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Sunday, 9 June 2024

ZARURAT

कुदरत की बनाई हुई इस दुनिया में हर इंसान को किसी न किसी रूप में कोई न कोई ज़रूरत होती है।
और यही जरूरत उसे कमी और कमजोरी का ऐहसास करवाती है।
अपनी खास ज़रूरत भी अगर पूरी करने में वह नाकाम हो जाता है और दूसरों की मदद नहीं मिलती तो वह मजबूरन ग़लत रास्ते पर चल पड़ता है।
वो ग़लत रास्ते ही उसे गुनाहों के दल-दल में धकेल देते हैं।
शुरुआत में ये ग़लत रास्ते उसे सुहावने लगते हैं क्योंकि उन्हीं की बदौलत उसकी जरूरतें पूरी होती हैं।
किंतु धीरे धीरे उसके कदम इतने गहरे गुनाहों में धंस चुके होते हैं कि वह चाहे तो भी उनसे बाहर नहीं निकल पाता। 
उसके सामने सामाजिक शर्मिंदगी। कानून की तलवार। पुलिस का खौफनाक भय लगा रहता है। वो भागता रहता है और छटपटाने लगता है।

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