गीतकार संगीतकार हरिओम जोशी :- 
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लड़की हूँ लडती रहूंगी 
जीवन की हर चुनौती से ।
मैं नाजु़क सी दिखती कली पर डटी हुई  हूँ ज़िद से ।।
1.जिस कोंख ने डर डर के  नौ मास गर्भ में पाला। 
जिसकी ममता को तरसी मैं मां के सीने की ज्वाला  ।। उसकी सशंकित करुणा में  महकी रहूंगी ।
लड़की हूँ, हां लड़की हूँ , मैं लड़की हूँ ।
लडती रहूंगी जीवन की हर चुनौती से।।
2.बेटी हूँ मैं जिस कुल की उसकी शान कहाऊंगी ।
बहन बनी भाई की कलाई की शान बढाउंगी ।।
जिस कुल की पहचान बनूंगी 
 उसकी रीत निभाऊंगी
लड़की हूँ हां लड़की हूँ मैं लड़की हूँ लडती रहूंगी जीवन की हर चुनौती से।
नाज़ुक सी दिखती कली अडी हुईअपनी ज़िद से
3.शिक्षा  के सरर्वोच्च शिखर पर मैंने कदम बढा लिये 
संघर्ष करती रहूंगी अपना लक्ष्य पाने के लिए।।
हर मुश्किल से टकराऊंगी  
लड़की हूँ हां लड़की हूँ मैं लड़की हूँ 
लडती रहूंगी जीवन की हर चुनौती से।।
 
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