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Monday 12 February 2018

"""""""तंज """""" गीतकार संगीतकार हरिओम जोशी

   ग़ज़ल ::- शहर के लोग

हूँ अगर क़िस्मत से खाली , तंज कसते हैं सभी ।
मैं अजाबी हूँ खुदा या ये हैं मेरे शहर के लोग ।।

मेरे टूटे ख़्वाब इनको दे दिया करते सुकूँ ।
मेरी कश्ती ही डुबोने लगे मेरे शहर के लोग ।।

फिर भी तेरा शुक्रिया , तूने बनाया है मुझे
कामयाबी की झलक भी देखले ये शहर के लोग ।।

1 comment:

  1. कोई क्या कहता है फिकर ना कर ।
    अपने नमक का हक अदा कर ।

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