गीतकार संगीत हरिओम 
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                      म्हारी पायलडी बोले 
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रुणझुण - रुणझुण म्हारी पायलडी बोले ।
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रुणझुण - रुणझुण म्हारी पायलडी बोले ।
होले - होले   म्हारो   हिवडो  भी डोले   ।।
कोई तो बताद्यो यो काँई होग्यो आज ।।
मीठी - मीठी  काँई कूदे  हिया में ।
लाज लजावे म्हारी आँखड्ल्याँ में ।।
कोई तो बताद्यो म्हारी इण बाताँ रो राज ।
रुण झुण .......................
अंग अंग सुँ झलके म्हारी नाजुक जवानी ।
कोमल कली कचनार सी निसाणी 
जाणे कियाँ आवे म्हारा हिवडा रा ज 
रुणझुण ............
सखियाँ री बाताँ बेरी तन मन झुलसावे ।
दुनिया री आख्याँ  म्हारो कालजो डरपावे ।।
बींध बींध घौंपी जाणे नैनण कटार ।।
रुणझुण -2 ...........
 
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