बनी रो काँईं कहणों ।
पायल छनकी चूडी खनकी
कमर मटकणी रे
बनी रो काँई कहणो ।।
मेहंदी रचाई हाथां में
टिकलो सजायो माथा में
सोना री बाली दमके
काजल कोर आँख्याँ में ।
लाली सुरख लगाई रे
बनी रो काँई कहणो ।
भावज निरखे मायड झिडके
दादी लाड लडावे ।
सागे सागे सखी सहेल्याँ
बन्ना बन्नी गावे ।
सबकी लाडली बन्नी रे
बनी रो काँई कहणो ।
गीतकार संगीतकार हरिओम जोशी
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