गीत-संगीत हरिओम जोशी
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तेरे दर पे बन के सवाली आते हैं ।सारी दुनिया के ठुकराये हुए , तेरे ही दर सुकूँ पाते हैं ।।
ओ सांई । ओ दाता । ओ बाबा
तेरी विभूति का क्या कहना ।
ओ सांई तेरी विभूति का क्या कहना ।
शिरडी वाले ओ बाबा तेरा क्या कहना ।
सांई तेरी विभूति का क्या कहना ।
ओ बाबा तेरी -2 विभूति का क्या कहना ।
ओ सांई तेरी विभूति का क्या कहना ।।
1.हमने सुने हैं तेरे दर के किस्से -2
जिनसे भी पूछा उन्हीं के मुख से
हर कोई कहता अपनी ज़ुबानी
तेरी विभूति दया की कहानी ।
ओ सांई तेरी .......
2. किसी को आँखों की ज्योति मिली -2
भटके हुए को रोज़ी मिली है ।
कितने हुए हैं वारे न्यारे ।
चुटकी विभूति के गुण सारे ।।
ओ बाबा ..........
3. तेरी विभूति जिसको भी मिलती -2
उसके सारे कष्ट है हरती
खिल जाये मुरझाई कली भी
आस हो पूरी ग़र उलझी भी ।।
ओ बाबा तेरी .........
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गीत संगीत गायन हरिओम जोशी
सहगायन अर्तिका सिंह
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