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Saturday, 23 January 2021

सांई तेरी विभूति । गीतकार संगीतकार हरिओम जोशी

गीत-संगीत हरिओम जोशी
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तेरे दर पे बन के सवाली आते हैं ।
सारी दुनिया के ठुकराये हुए , तेरे ही दर सुकूँ पाते हैं ।।
ओ सांई । ओ दाता । ओ बाबा 
तेरी विभूति का क्या कहना ।
ओ सांई तेरी विभूति का क्या कहना ।
शिरडी वाले ओ बाबा तेरा क्या कहना ।
सांई तेरी विभूति का क्या कहना ।
ओ बाबा तेरी -2 विभूति का क्या कहना ।
ओ सांई तेरी विभूति का क्या कहना ।।
1.हमने सुने हैं तेरे दर के किस्से -2
   जिनसे भी पूछा उन्हीं के मुख से 
  हर कोई कहता अपनी ज़ुबानी 
  तेरी विभूति दया की कहानी ।
 ओ सांई तेरी .......
2. किसी को आँखों की ज्योति मिली -2
    भटके हुए को रोज़ी मिली है ।
    कितने हुए हैं वारे न्यारे ।
   चुटकी विभूति के गुण सारे ।।
   ओ बाबा ..........
3. तेरी विभूति जिसको भी मिलती -2 
    उसके सारे कष्ट है हरती 
    खिल जाये मुरझाई कली भी 
   आस हो पूरी ग़र उलझी भी ।।
  ओ बाबा तेरी .........
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गीत संगीत गायन हरिओम जोशी 
सहगायन अर्तिका सिंह 
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