गीतकार संगीतकार हरिओम जोशी
राजस्थानी फ्लेवर
" मैं कुंवारों डोलूं रे ......
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
मूॅं तो सांची सांची बोलूं रे
ऐ मूॅं तो सांची सांची बोलूं रे मैं कुंवारों डोलूं रे
सगला साथी परण्या मैं मारो बोलूं रे ।सगड़ा साथी परण्या मैं कवारो डोलू रे।।
म्हारी शादी करने खातिर हो हा हा हा
म्हारी शादी करने खातिर बापू ।
गांव गांव में घुम्या म्हारी शादी करने खातिर घर का गांव गांव में घूम्या ।
पर के ईं चक्कर में म्हारे दाजी सलट गया
मैं तो साची साची बोलूं मैं कुंवारा रे गयो रे
मैं तो साची साची बोलूं मैं कवारो डोलूं रे
बिनणी आवे घर में छम छम पायल छनखे
छम छम छम छम छम
भाण ने भावज मिल जावे मन री कलियां महके ।।
मैं तो साची साची बोलूं रे कवारो डोलू रे ।
मंदिर गिरजाघर गुरुद्वारा कांई कोनी छोड्या
जंतर-मंतर तंतर झाड़ फूंक जी कांई कोनी छोड्या ।
कांई लिख्यो विधाता भाग में कंवारो डोलूं रे ।।
----------------गीतकार संगीतकार हरिओम जोशी-----------
No comments:
Post a Comment