अक्सर हम यह सोच कर उनको नजरअंदाज कर दिया करते हैं कि निश्चित रूप से यह समीक्षा या नशा खोर होगा यह शराबी होगा नशे में धुत यहां पड़ा है किंतु क्या कभी आपने यह सोचने और समझने की कोशिश की या उससे जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की कि वह आखिर बेजान सा हिंदी रीजन सा अकेला क्यों पड़ा है क्या उसको भूख नहीं लगती होगी क्या उसको प्यास नहीं लगती होगी हम उसकी कैसे मदद कर सकते हैं क्या कर सकते हैं कि उसका जीवन फिर से सवाल जाए वह फिर से जीवन की मुख्यधारा में हमारी ही तरह आ जाए इसी विषय पर एक लघु कहानी है जो कि सत्य घटना पर आधारित है
हम बस में बैठे हुए थे और हमारी बस एक कस्बे के बस स्टैंड से निकलकर थोड़ी सी आगे बढ़ रही थी कि तभी एक पगला सा लड़का वहां बस के सामने बेहतर टी-20 से घूम रहा उसके कपड़े मेले कुचले फटे हुए थे और बाल बिखरे हुए ऐसा लगता था जैसे वह कई दिनों से नहाया हुआ नहीं है वह कहां खाता होगा कहां पीता होगा कहां रहता होगा इन सब से अनजान हमने उसको देखा तुम मुझसे रहा नहीं गया मैंने अपने दोस्त से कहा यार हम अपनी आगे की यात्रा कुछ समय बात करेंगे आओ चलो चलते हैं इससे अकेले व्यक्ति की क्या समस्या है जानने की कोशिश करते हैं हम से जो बन पड़ेगा हम इसकी मदद करें मेरे दोस्त मेरे विचारों से सहमत हुए और उन्होंने मेरा साथ और सहयोग करने में अपनी सहमति दर्शाई राम बस से उतर गए और अभी कुछ आगे बढ़ने ही वाले थे उस शख्स की तरफ अभी हमने देखा है कि स्कूल से कुछ बच्चे छोटे और कुछ शरारती बच्चों ने उसके ऊपर पथराव करना शुरू कर दिया वह जान बचाकर भागने और उनकी पत्थर की चोट से बचने के लिए अपने आपको इधर उधर भागने लगा तभी मैंने चिल्लाकर उन बच्चों को रोका कि तुम यह क्या कर रहे हो बच्चे रुक गए और वह सब चले गए फिर मैंने उनसे कहा कि या कोई भी इस अनजान व्यक्ति को इस तरह से परेशान नहीं करेगा मैंने उसको बड़े प्यार से अपने पास बुलाया यह देखकर कि कि मैंने उसकी उन बच्चों से जान बचाई है मेरे पास आ गया ओके नहीं लगा मुझे खाना दो मेरी आंखों में आंसू आ गए फिर मैंने उसको ले जाकर पास में एक रेस्टोरेंट में कुछ ब्रेड पकोड़ा और चाय नाश्ता दिया पहले उसका हाथ डलवाया और इसके बाद उसको खाने की चीज दी लगता था वह काफी दिनों से भूखा था तभी मैंने रेस्टोरेंट के मालिक से पूछा कि क्या तुम इसको जानते हो उसने बताया कि हां बाबूजी यह कई दिनों से यहां ऐसे ही घूमता फिरता है न जाने कौन है कहां से आया है मैंने उससे पूछा हमारे साथ चलोगे तुम कौन हो कहां से आए हो क्या तुम अपने बारे में हमें बता सकते हो वह हमारी बात और भाषा को नहीं समझ सका लगता था किसी और भाषा से जुड़े किसी क्षेत्र का बंदा था तभी मैंने उसको कहा कि ठीक है पुलिस थाने में जाकर के मैं नहीं स्पेक्टर से कहा कि इस अनजान व्यक्ति का पता लगाओ यह कौन है कहां से आया पुलिस इस बारे में पूछा तुम कौन हो कहां से आए हो उसने बताया कि मैं उसने पेन और कागज मांगा और उसने लिख कर दिया जिस लिपि और भाषा में वो लिख रहा था वो थानेदार इंस्पेक्टर में या मेरे साथियों में से किसी को भी वह भाषा हमने कभी सीखा नहीं देखी नहीं हम पहचान नहीं पाए कि वह आखिर क्या लिख रहा है और क्या कहना चाहता है तभी मैंने गूगल पर के लिखे हुए भाषा को स्कैन करके सर्च किया तो पता लगा कि वह दक्षिण भारत की किसी भाषा में लिखी हुई कोई इबारत थी तब मैंने इंस्पेक्टर साहब से पूछा कि यहां कोई दक्षिण भारतीय व्यक्ति है जो इस भाषा को पहचान सके उनका क्या हॉस्पिटल में एक नर्स है जो केरल से हैं हम उनकी मदद ले सकते हैं तो हमने बुलाया नर्स ने जब लिखी । मुझे तेलुगु नहीं आती किंतु यहां तेलुगु के कोई सज्जन हो तो इसको पढ़कर जाओ हमें बता सकता है कि इसमें क्या लिखा तभी मुझे ध्यान आया की हम जहां गए थे काम से वहां एक वर्कर था जो तेलुगू जानता था आंध्र प्रदेश का रहने वाला था मैंने इंस्पेक्टर साहब से कहा कि वहां पास के गांव में एक तेलुगू बोलने वाला लड़का था मैंने उससे पूछा था तो उसने बताया था कि वह आंध्र प्रदेश का है उसकी भाषा तेलुगु इंस्पेक्टर साहब ने तुरंत मेरी गाड़ी से एक कांस्टेबल को भेजा उस गांव में और उस तेलुगु बोलने वाले वर्कर को लेकर आए जब उसने पढ़ा तो उसने बताया कि ये जो शख्स है लावारिस सैया घूम रहा है इसका यहां कोई नहीं है इसलिए लिखा है और यह वारंगल का रहने वाला है इसका पता है अपने पिताजी का नाम और पता लिखा है हमने वारंगल पुलिस थाने में तलाश किया उसके पिताजी को जो नाम उसने बताया था उस नाम से तो पता चला कि वह भी अपने लड़के को गुमशुदगी की तलाश में पुलिस थाने के चक्कर काट रहे थे लेकिन इसका पता नहीं लग पा रहा था फिर हम ने उनसे संपर्क किया उनको यहां का पता दिया वहां से चलकर अनजान चले युवक की माता पिता यहां आए तब तक हमने इस को अच्छे कपड़े पहना है अच्छा खाना दिया और अच्छे अपने पास में रखने की पुलिस स्पेक्टर से इजाजत लेकर के 19 को अपने साथ में रखा और उस गांव में आए उन्होंने हमसे संपर्क किया तो वह फूट-फूट कर रोने लगे और रोने लगा उनके परिवार में उनकी पिता को टूटी-फूटी हिंदी आती थी और उन्होंने हमें यह कहानी बताइए यह हम बीकानेर चेन्नई एक्सप्रेस में बैठ कर के राजमहल जा रहे थे किंतु यह हमारा बेटा ट्रेन में सोया रह गया और हम उतने की जल्दी में यह भूल गए कि वह हमारे साथ उतर गया है और हम इसको नहीं अपने साथ में पा सके तो हमने रेलवे पुलिस स्टेशन पर इसकी बुद्धि तलाश और इस तरह से आज 6 महीने बाद इसका हमें पता लगा है।
उसके माता-पिता ने हमारा बहुत-बहुत आभार माना और हमें ढेर सारा आशीर्वाद देकर खुशी-खुशी अपने उस परिजन को साथ में लेकर चले गए इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि किसी भी अजनबी को यदि कहीं लावारिस अवस्था में देख ले तो यह जरूरी नहीं है कि वह m1c होगा या नशाखोरी वाला होगा कम से कम 2 पर रुक कर उसके बारे में हमें जानकारी अवश्य करनी चाहिए कि वास्तव में वह है कौन हो सकता है इसी युवक की तरह वह भी कहीं से गुम हुआ किसी का पारिवारिक सदस्य हो।
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