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Monday, 17 June 2024

वृद्धा आश्रम की कहानियां

एक वृद्धा आश्रम में अनेक बूढ़े पुरुष महिलाएं रहती हैं । भारत जैसे देश में भी जब ऐसे हालात बेहद खेदजनक होने लगे हैं कि हर तरह से संपन्न जवान बेटे बहुओं के रहते हुए भी जब बूढ़े मां-बाप को उनके अपने घर से बाहर कर लोग उन्हें या तो खुद अलग हो जाते हैं या  निकाल दिया करते हैं या फिर उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ जाते हैं । यह सोचकर ही मन में उन जवान बेटे बहुओं के प्रति मन में घृणा उत्पन्न हो जाती है । 
ऐसे हालात और हादसे हमारी संस्कृति के अंग तो कदापि नहीं हो सकते हैं । 
तो क्या इन तमाम मामलों के पीछे केवल माता पिता ही ज़िम्मेदार हैं या फिर उनकी औलादों की भी कोई बहुत बड़ी विडम्बना या भूल या मजबूरी होती है ।
इन तमाम मामलों का क्या कोई ऐसा हल नहीं निकल सकता किसी भी परिवार के बुजुर्ग जो अब खुद चलने फिरने से लाचार हैं और जो बिना किसी सहारे के चलने फिरने से लाचार हैं उन्हें उनके अपने बहू बटे ऐसे ही असहाय न छोड़कर उनकी सेवा सुश्रुषा कर सकें ।
इन तमाम बातों को सोचकर एक युवा समाजसेवी पत्रकार वृद्धा आश्रम में जाकर बूढ़े मां-बाप को मिल कर उनकी व्यथा कथा सुनता है और उनके बेटे बहुओं से मिलकर समस्याओं की जड़ तक जाकर समाधान निकालने का सफल प्रयास करता है ।
इन्हीं सामाजिक विषयों पर आधारित घटनाओं को लेकर लघु फिल्म निर्माण हेतु उत्कृष्ट सामग्रियों को लेकर किया जा सकता है । जो समाज में एक इनोवेशन लाकर सुधार की दिशा में एक उदाहरण पेश कर सके ।
एक एक माता पिता ऐसे हुए कि उन्होंने अपने बेटे को उच्चतम शिक्षा दीक्षा करवाई और आगे से महंगी यूनिवर्सिटीज में उनके दाखिला करवा कर उनको योग्य बनाया काफी धन संपत्ति खर्च करके भी उनका विवाह करवाया लेकिन शादी होने के बाद रोजगार लगने के बाद दोनों बेटे एक अमेरिका चला गया दूसरा न्यूजीलैंड चला गया अब दोनों अपने बूढ़े माता-पिता को फोन तो करते हैं कॉन्फ्रेंस कॉल करते हैं और जरूरी जरूरत के सारे सामान उनको समय पर मिल जाए ऐसी पूरी व्यवस्था भी करते हैं पैसा भेजते हैं उनके खाने पीने रहने की तमाम सुविधाओं की व्यवस्था भी कर देते हैं किंतु ओ माता पिता इन सब से संतुष्ट नहीं रह पाते उनकी जो बात कर लेता थी कि वृद्धावस्था में उनकी संतानें उनके पास रहे उनकी देखभाल करें उनकी शादी को वह अपनी गोद में खिला पिला सके लाड प्यार कर सके वह सारे उनके धरे के धरे रह गए क्योंकि दोनों विदेशों में थे और यह दोनों दंपत्ति अपने घरों में भारत में रहकर एकाकी जीवन जीने में मजबूर थे ऐसी स्थिति में एक समय ऐसा आया कि दोनों बेटों ने उनको पैसा तो भेजा सुविधाएं भी सब उनको मुहैया करवाई किंतु फोन करना बातें करना फौजियों की आवाज बंद हो गया ऐसी अवस्था में माता-पिता घुट घुट कर जीवन जीने पर मजबूर हो गए तब उन्होंने अपने बेटों को फोन किए कि तुम आ जाओ अपने पास बुला लो नहीं आ सकते उन्होंने कहा कि हम अपने काम धंधे में इतने व्यस्त हैं पिताजी माताजी कि हम आपको चाह कर भी नहीं मिल सकते ना आ सकते ना जा सकते तब इस समस्या का समाधान कैसे निकले तब इसी पत्रकार ने जब उस दंपति से मिलकर यह समस्या सुनी तो उसने उन दोनों को एक ऐसा खत लिखा मैसेज किया कि आपके दोनों माता पिता बहुत बुरी कंडीशन में अपने माता-पिता का अंतिम दर्शन कर लो यदि आप चाहते हो कि वह सुख से अपनी देह त्याग कर सके आनन-फानन में दोनों अपने-अपने काम छोड़कर लंबी छुट्टी लेकर गांव आ गए और माता पिता के पास ना कर उनके हालचाल देखें तो उनकी स्थिति को देखकर वह दोनों ही आपस में झगड़ा करने लगे तुम्हारी वजह से मैं अपने माता-पिता की दोनों में एक दूसरे पर दोषारोपण करना शुरू कर दिया लेकिन जब माता-पिता को साथ में रखने की बात उठी तो दोनों में से किसी ने भी उसकी और अपनी सहमति दर्शाने में समस्या बताई। दोनों ने अपनी अपनी मजबूरियों का रोना रोकर माता पिता से कहा कि हम मजबूर हैं पिताजी माताजी के आपको हम ना तो साथ ले जा सकते हैं और ना ही हम हमेशा आपके पास आ सकते हैं तब पत्रकार ने कहा भाइयों आप यह बताएं सप्ताह के कितने दिन आप नौकरी करते हैं शनिवार और रविवार को तो आपको अपनी नौकरियों में से छुट्टी मिलती ही होगी ना या हफ्ते में एक दिन की छुट्टी तो मिलती होगी और साल में एक बार एक आध महीने की तो छुट्टियां मिलती होंगी तो क्या आप अपने उस समय में अपने माता पिता को देखना नहीं आ सकते तो इससे बड़ी विकट बात और क्या हो सकती है कि आप अपने स्वार्थ में इतने लिप्त हो चुके हैं अपने सुख ऐश्वर्य में इतने अंधे हो चुके हैं कि जिन्होंने आप को इस काबिल बनाया कि आज आप इतने ऊंचे मुकाम पर हैं और आप उनकी देखभाल करने नहीं आ सकते तो दोनों को इस बात का एहसास होगा यही नहीं दोनों भाइयों ने शर्मिंदगी का अहसास किया और कहा कि ठीक है हम अपनी छुट्टियों का बारी-बारी से उपयोग करेंगे पहले 6 महीने में जो छुट्टी लगेगी हम उस समय आएंगे दूसरे में दूसरा आएगा इस तरह से माता-पिता भी खुश हुए और वह बच्चे भी संतुष्ट होकर अपने-अपने काम पर निकल गए

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