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Tuesday, 26 October 2021

अंतिम परिणाम

गांव की आलीशान शानदार कोठी से पुलिस थाने में फोन आया । आवाज़ एक नोकरानी की थी ।
पुलिस हवलदार ने फोन उठाया तो घबराई हुई नोकरानी ने रोते हुए कहा । साहब जल्दी आईये ज़मीनदार साहब ने अपने आप को फांसी लगाकर जान दे दी है । 
हवलदार ने कहा ठीक है हम आते हैं 
पुलिस थाने से थानेदार और पुलिस की टीम कोठी पर पहुंचे तो उन्हें ज़मीनदार लेखनारायण की लाश उनके बेडरूम के पंखे से लटक रही थी । फोटोग्राफर को बोलकर उनका फोटो लेने और बेडरूम की हर चीज को जांचने के बाद कमरे को सील कर दिया गया ।
पुलिस अपनी जांच-पड़ताल करने में जुट गई। तो बहुत ही रहस्यमय बात सामने आई और । 
और एक ऐसा घटनाक्रम सामने आया कि जिसने भी सुना सबके होश उड़ गए ।
1.ज़मीदार के खेत में काम करने वाला एक गरीब किसान ने अपनी पत्नी की बिगड़ी हालत पर उसे अस्पताल में भर्ती करवाया । लेकिन अब उसकी माली हालत ऐसी नहीं थी कि इलाज के लिए वह कुछ कर पाता । क क्योंकि इलाज के लिए भारी रकम की आवश्यकता थी तब मजबूर होकर गरीब मानू जमीदार लेख नारायण के सामने हाथ जोड़कर रोते हुए विनती की की है मालिक मेरी पत्नी की हालत बहुत खराब है उसका समय पर इलाज नहीं हो सका ऑपरेशन नहीं किया गया तो उसकी जान चली जाएगी और अगर वह मर गई तो मैं भी जीवित नहीं रह पाऊंगा जमीदार ने पूछा उसके इलाज में कितने पैसों की जरूरत है मानू । मानव ने कहा मालिक मैं जन्म जन्मांतर भी आपका कर्जा नहीं चुका सकता इतना पैसा चाहिए उसके इलाज में कम से कम ₹500000 चाहिए मालिक जो मेरी हैसियत से कहीं ज्यादा है तब जमीदार ने कहा तुम्हारी पत्नी की जान बच सकती है मैं तुम्हें ₹500000 भी दे सकता हूं और उसके बदले में मैं तुमसे वह रुपए वापस भी नहीं मांगूंगा लेकिन क्या तुम उसके लिए मेरी एक शर्त मानोगे जमीदार के सवाल पर मानू को आशा की एक किरण दिखाई दी उसने खुश होते हुए कहा मालिक मैं आपकी हर शर्त मानने को तैयार हूं अगर आप मेरी पत्नी की जान बचाने में ₹500000 की मुझे सहायता दे दे तब जमीदार ने कहा क्या तुम मेरी सहायता के बदले में वह दे सकते हो जो मैं तुमसे मांगू जमीदार ने कहा मालिक आप मुझसे मेरी जान भी मांग लेंगे मैं दे दूंगा आप जो कहेंगे मैं देने को तैयार हूं बस मेरी पत्नी की जान बचा दीजिए मुझे ₹500000 की सहायता दे दीजिए जमीदार लेख नारायण ने कहा कि मुझे तुम्हारी जान नहीं चाहिए ना ही मुझे तुमसे 500000 क्या उससे भी अधिक रुपया अगर खर्च हो तो मैं देने को तैयार हूं लेकिन मुझे तुम्हारी बेटी लोनी एक रात के लिए मुझे चाहिए क्या तुम मुझे दे सकते हो इतना सुनते ही मानोगे तन बदन में आग लग गई लेकिन वह इतना मजबूर था कि चाह कर भी कुछ नहीं कर पाया उसने कहा क्यों मालिक क्या इसके अलावा और कोई शर्त नहीं हो सकती क्या इस मेरी बेटी की इज्जत बचाने का मुझे अधिकार नहीं। जमीदार ने कहा सोच लो मानो और चाहो तो अपनी बेटी से बात कर लो तो मानो निराश होकर कुटिया में लौट आया और फफक फफक कर रोने लगा नाम में कैसे अपनी पत्नी रानी का इलाज करवाओ तब उसकी बेटी लूणी उसके पास आई और उसे ड्रेस बनाने लगी बाबा आप क्यों रोते हो जमीदार जी से बात करके आप उनसे मदद क्यों नहीं मानते मानव ने कहा बेटी मैं जमीदार के पास गया था खूब गुड गिराया खूब मन्नते मांगी लेकिन उन्होंने एक ऐसी शर्त रख दी जो मैं जीते जी पूरी नहीं कर सकता तो यह सुनकर लूनी ने अपने पिता को अपनी कसम देकर के पूछा बापू मुझे बताओ जमीदार जी ने ऐसी क्या शर्त रखी जिसे आप पूरी नहीं कर सकते मुझे बताइए मैं अपनी मां की जीवन बचाने के लिए कुछ भी कुर्बानी करने को तैयार हूं बेटी मैं तेरी मां की जान बचाने के लिए तेरी इज्जत कैसे भेज सकता हूं मेरी समझ में कुछ नहीं आता मैं क्या करूं एक तरफ तेरी मां की जान है तो दूसरी तरफ तेरी इज्जत है दोनों में से मैं किसी को भी किसी कीमत पर नहीं दे सकता और यह कह कर हल उठाकर खेत की तरफ चल दिया यह सारी बातें जमीदार लेख नारायण की बेटी जो किलोनी की खास सहेली थी उसने छुपकर सुन ली और उसने बिना कुछ कहे लोनी से कहा खिलौने तुम क्या सोच रही हो कैसी है काकी की तबीयत में क्या बताऊं सीना मां की तबीयत बहुत खराब है उनके इलाज के लिए लाखों रुपए की जरूरत है ने कहा छीना ने कहा अब तुम क्या करोगी मैं क्या बता सकती हूं ना मैं क्या करूं क्या नहीं करूं बापू के सामने जमीदार साहब एक बहुत बड़ी शर्त रख दी बापू तो वह नहीं कर सकते लेकिन मैं मैं अपनी मां की जान बचाने के लिए कुछ भी करूंगी और तभी लूणी जमीदार के पास गई और कहा कि आप मेरे बापू की बातों में मत आइए और मैं आप जो चाहते हैं वह करूंगी लेकिन पहले आपको ₹500000 मेरी मां की इलाज के लिए देने होंगे जमीदार ने कहा ठीक है लोनी तुमको मैं ₹500000 अभी इसी समय दे देता हूं ना तिजोरी में से गुड़िया निकाली और एक थैली में रख कर लूंगी को दिया पहले तुम जाओ अपनी मां का अच्छे से इलाज करवाओ जब तुम्हारी मां ठीक हो जाए और हर तरह से और भी पैसों की जरूरत पड़े तो तुम मेरे पास आ जाना मैं तुम्हें निसंकोच सहायता करूंगा किंतु उसके बाद याद रखना अपने वजन से मुकर मत जाना लोनी ने कहा नहीं जमीदार साहब मैं जन्म जन्मांतर के लिए आपकी हो जाऊंगी मैं आपकी हर इच्छा पूरी कर लूं तो करूंगी बस मेरी मां की जान बच जाए यह बात भी सीना ने अपनी सहेली की कहते हुए सुन लिया लोनी पैसे लेकर शहर गई और अस्पताल में अपनी मां का उसने इलाज करवाया एक नियत समय आया तब लोनी जमीदार के पास अपना वचन निभाने के लिए गई तो रास्ते में जमीदार की बेटी सीना ने उसे रोका लूणी तुम कहां जा रही हो बलूनी ने कहा कि मैं जमीदार साहब से जो मैंने वचन दिया था वह वचन पूरा करने जा रही हूं तो सीना ने कहा तुम मेरी सहेली हो तुम आज मत आओ कल आ जाना यह कहकर उसने लूणी को उसके घर भिजवा दिया और सीना लोनी के कपड़े पहन कर उसी की वेशभूषा में चेहरे पर घुंघट डालकर जमीदार के पास उसके बेडरूम में चली गई जमीदार ने जब पूछा कि तुमने पर्दा क्यों किया हुआ है तो उसने आवाज बदलकर लूणी की आवाज में बोल कर बताया कि मुझे यह सब करने में शर्म आती है इसलिए आपको जो कुछ भी करना है मैं अपने चेहरे पर घुंघट रखकर ही आपको अपना सब कुछ दे सकूंगी । तो जमीदार लिख नारायण ने कहा कोई बात नहीं मुझे तुम्हारी इज्जत की चिंता है तुम्हारी शर्म की चिंता है और इस प्रकार उसने अपनी ही बेटी को लूणी समझ कर उसके साथ पूर्ण सहवास किया और जब विश्वास करके निपट गया तो उसकी बेटी ने घूंघट उठाया बापू लूण भी तो आपकी ही में मेरी ही तरह आपकी बेटी जैसी थी फिर आपने उसके ऊपर बुरी नजर क्यों डाला जब आपको पता था कि वह मेरी सहेली है जो आपने उसके दामन को दागदार बनाने का यह घृणित कार्य क्यों किया मैं अपनी सहेली की जान बचाने के लिए जल बचाने के लिए ही आपके सामने आई हूं और यह आपको एहसास कराने आई हूं कि दूसरों की बेटी को भी अपनी बेटी जैसी ही माने आपने जो किया उसके बाद में तो जीवन जीवित ही रहूंगी लेकिन आप बहुत खुश हो जाना अपनी बेटी को देखकर जमीदार के पैरों तले जमीन खिसक गई उसे आत्मग्लानि होने लगी कि मैंने वासना में अंधा होकर कि यह सब क्या कर दिया बिना कुछ सोचे समझे सिर्फ औरत का शरीर समझ कर अपनी ही बेटी के साथ में ऐसा घृणित कार्य किया बस इसी आत्मग्लानि के चलते उसने अपने आप को फांसी के फंदे पर लटका दिया।

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