क्यों फैल रही नफ़रत जहां में सोचकर हैरान हूं।।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई अपना अपना ज्ञान दे ।
अग्नि जल हवा है किसकी जिसकी पहचान दूं ।।
कट्टरता की फसल उगाकर काट रहे जिस जीव को ।
इस धरती पर तुम जैसा ही मैं भी तो इंसान हूं ।।
अपने अपने मजहब को कहते सब महान यहां ।
पर मज़हब नाम पे हत्या करना क्या कहूं। ।
किस का धर्म बचेगा जब इंसान ही मारे इंसान को ।
कोई पंडित मोरवी पादरी बताए सुनने को बेताब हूं ।
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