हानिकारक खाद और कीटनाशक या प्राकृतिक खेती विषय ? पर फिल्म।
परिकल्पना: हरिओम जोशी।
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ताज़ा तरकारी बहुत कम मगर ओरगेनिक खेती की शुद्धता युक्त थी तुरंत बिक जाती थी और उतनी ही आय से संतुष्ट रहता था।
जबकि जगन नाम का किसान अपनी सब्जियां जो कि पेस्टिसाइड्स खाद और कीटनाशक दवाएं छिड़क कर इंजेक्शन लगा कर बहुत अधिक मात्रा में उपजी बाजार में बेचने जाता था और उनके ढेर सारे दाम कमाकर धनवान होता जा रहा था।
एक दिन उसने रामू से पूछा काका इतनी कम सब्जियां क्यों लाते हो ।
रामू ने कहा। बेटा मेरे खेत में जितनी उपज होती है वही एकत्र कर के बेच देता हूं। बस गुजारे लायक दाम मिल जाते हैं और क्या चाहिए।।
जगन बोला आप भी मेरी तरह अधिक उपज पा सकते हैं।
रामू वो कैसे !
जगन कीटनाशक दवाएं छिड़क कर इंजेक्शन लगा कर बहुत सारी फसल उगाकर।
रामू लेकिन यह ज़हरीली कीटनाशक दवाएं और इंजेक्शन लगा कर पैदा की सब्जियां खा कर हमारे अपने गांव वासी बीमार हो गए और उनकी शारीरिक ताकत क्षीण हो जाएगी तो अपना गांव शहर ही तो कमजोर हो जाएगा । लोग बीमार रहने लगेंगे।
क्या हम इस तरह थोड़े से अधिक धन कमाने के लालच में उन्हीं लोगों को ज़हर देकर मारने का काम नहीं करेंगे जिनकी वजह से हमारे घर का चूल्हा जलता है और हमारे बालबच्चे पल रहे हैं। क्या हम उनके परिवारों को ज़हर खिलाकर अपने ही देश को कमजोर कर देंगे ।
जगन ने जब रामू काका की बात सुनी तो उसे याद आया कि यही सब्बजियां उसके घर में भी उपयोग की जाती हैं और उसकी पत्नी बच्चे आये दिन बीमार पड़ जाते हैं। उसे अपने किये का पछतावा होने लगा
बहुत
ग्लानि हुई और उसने भी निश्चय किया कि अब से वह भी पोष्टिक सब्जियां ही उत्पन्न कर बेचेगा और भारत माता की संतानों और युवाओं बच्चों को पोष्टिक आहार खाने में मजबूत ताकतवर बनाने में मदद करेगा।
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