इक हसीना मिली, प्यार की रुत खिली,
धड़कनें कर जवां हसरतें ज़िंदगी में हिली।।
F.
नौजवां इक मिला साज़ दिल का छिड़ा।
खुशबुएं इश्क़ की बाग़े तन में खिली ।।
मेरे हम साज़ हो हम नशीं हम नवां।
हम सफ़र तो तुम्हीं है यकीं हमको आज
फासले ना कभी करदे क़ौम की गली।।
इक हसीना.....
ये जहां प्यार का दुश्मने ख़ास है।
पर तेरे साथ का दिल में विश्वास है
हम रहे हैं सदा चाहे दुनिया जली
नौजवां इक मिला
मेरी श्वासों में तुम दिल की राहों में तुम
ये फलक या ज़मीं चारसूं हो सनम
भूलना ना कभी मैं हूं खिलती कली
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