प्रेमिका:-
बहुत दिन बाद आते होमुझे तुम क्यों सताते हो
सनम ज़ुल्म ना किया करो ।
प्रेमी:-
रहूं चाहे कहीं भी तुम, मेरी धड़कन में रहती हो
सनम् फ़िक्र ना किया करो।।
प्रेमिका
जवानी फ़िक्र के मानिंद समझती ही नहीं जानम
मुहब्बत में धड़कता दिल करे हरदम युहीं मातम
तुम्हारी बेरुखी से ग़र मुझे तुम आजमाते हो
सनम इश्क़ ना किया करो
प्रेमी
किया जाता नहीं है इश्क़, ये एहसासे मुहब्बत है
बसे दिल की गुफाओं में मेरी रूहे इबादत है।
सजाने को मुहब्बत की शहाना ख्वाहिशी हो तुम
सनम् कुछ यकीं किया करो
प्रेमिका
मुझे है एक़िदा तुम पर, मगर मुश्किल तुम ही गुम हो
बहारें हुस्न छाई हैं मेरे हमदम कहां तुम हो
खयालों के तरन्नुम तुम हक़ीक़त में मेरे ग़म हो
सनम् ख्वाब ना हुआ करो
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