कांई बोले री।
अधरां री लाली थारी जोबण रा गीत गावे
कांई बोले री।
मनडो म्हारो भरमावै कांई समझ न आवे
अब तो बतादे कमनी हिवडो यो थारो ऐयां
कैयां डोले री।
सावन सुहानो आवे हरियालो मौसम भावे
मन मां तरंग जगावे मिलणी री प्रीतरी।
नाज़ुक कमरिया थारी तू जो बल खाती डोले
धड़कन यो धक-धक बोले म्हारो री ।
म्हारा चित ने ललचावे थारा चितवन में कमली
कांई बोले री।
मुखड़ा सूं बोल बता तू अब भी कांई शरमावे
थारा हिवडा री बातां खोल री
क्यों कर अब तू तरसावे थारा भी मन में भावे
अवसर सुहानो बीतो जावे री ।
पगल्यां री पायल बाजे चूड़ियां री खनखन बाजे
कांई बोले री।
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गीतकार संगीतकार हरिओम जोशी।
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