ऐसा संदेश देती हुई कहानी पर आधारित फिल्म ZEE CINEMA TV CHANNEL. के लिए बनाने का सुझाव आया है। 
एक सशक्त फिल्म के साथ बहुत ही कुछ मार्मिक  गीत
कहानी है । गीत ऐसे हैं जो किसी किसी की भी भावनाओं को आहत नहीं करेंगे और एक सकारात्मक संदेश समाज को देंगे ।
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एक करोड रुपए के लगभग  बजट इस फिल्म पर आने की संभावना है। 
उन महिलाओं का कहना है कि क्या मुस्लिम औरतें सुंदरता , शारीरिक संबंध, घरेलू कामकाज में या किसी भी दक्षता में अन्य मज़हब की औरतों से कम हैं? इन मुसलमान मर्दों से खुद की औरतें तो संभाली नहीं जाती और दूसरी तरफ मुंह मारते फिरते हैं।
[12/3, 1:51 PM : इस्लाम की ग़लत नीतियों और लव-जेहाद आतंकी गतिविधियों मुस्लिम पर्सनल लॉ। शरियत कानून के शिकार सिर्फ केवल अन्य धर्म हिंदू सिख ईसाई जैन पारसी बौद्ध की महिलाएं और लोग ही नहीं बल्कि स्वयं उनके अपने धर्म की महिलाएं भी त्रस्त हैं। और यही नहीं आरोप लगाने वाली स्वयं मुस्लिम समाज की सतायी हुई एक बहुत गुणी महिला वर्ग की बतायी हुई आपबीती पर आधारित कहानी है। एक ऐसा समुदाय जहां
 सगा बाप
 सगा भाई
 चाचा
 ताऊ
बेटियों को 
श्वसुर , 
जेठ देवर
बहुओं को
अपनी नापाक हवस का शिकार बना देते हैं। तीन तलाक़ बुर्का पहनना औरत को अपनी जरखरीद गुलाम समझना । बच्चे पैदा करने वाली मशीन समझना जैसी कुरीतियां तो है ही ।लेकिन 
अन्य धर्म हिंदू सिख ईसाई जैन पारसी बौद्ध की लड़कियों को भी अपने प्रेमजाल में फांस कर उनके साथ अमानुषिक कृत्य कुल मिलाकर औरत चाहे किसी भी मज़हब पंथ धर्म जाति भाषा की है। मर्दों के अत्याचार से कुचली जा रही है। ऐसे तमाम मुद्दे इस्लाम की औरतें उजागर कर इस्लाम की कमजोरियां बता रही हैं । 
ऐसा संदेश देती हुई कहानी पर आधारित फिल्म समाज को आईना दिखाएगी  । 
एक विवाहिता मुस्लिम महिला ICU वार्ड में भर्ती है और कोमा में में है।
उसके माता-पिता भाई-बहन और भी अनेक परिजन बाहर उसके ठीक होने की दुआ करते नज़र आ रहे हैं।
मालूम हुआ कि उसने खुदकुशी करने की कोशिश की थी जिसके कारण वह इस हालत में पहुंच गई थी।
घर परिवार वाले उसके शौहर को जिम्मेदार ठहरा रहे थे।
माहौल बहुत गर्म हो गया था। तनाव बढ़ गया था।
दूसरी ओर एक सच्चे मुसलमान परिवार जो कि पांच वक्त की नमाज के हमेशा पाबंद है और इंसानियत देशभक्त हैं। किसी दूसरे मज़हब पंथ धर्म जाति को हिकारत की नज़र से नहीं देखते बल्कि सबसे सच्चा आत्मिक भाव रखते हैं। 
जिहादी संगठन उनके ऊपर दबाव डाल रहे हैं कि वह इस्लामी जिहाद में उनके साथ आये और आतंकवादी गतिविधियों में उनका साथ दे।
लेकिन वह लोग उनके बहकावे में नहीं आते। और अपने पारिवारिक जज्बे को कायम रखते हैं। 
 
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