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Monday, 13 January 2025

यशोदा जी कृष्ण को सुला रही हैं।

यशोदा नन्हे कृष्ण को पालने में झुला रही हैं। कभी झुलाती हैं, कभी प्यार करके पुचकारती हैं और चाहे जो कुछ गाती जा रही हैं। वे गाते हुए कहती हैं, “निद्रा! तू मेरे लाल के पास आ। तू क्यों आकर इसे सुलाती नहीं है। तू झटपट क्यों नहीं आती? तुझे कन्हैया बुला रहा है।” श्रीकृष्ण कभी पलकें बंद कर लेते हैं, कभी अधर फड़काने लगते हैं। उन्हें सोते हुए समझकर माता चुप हो जाती हैं और दूसरी गोपियों को भी संकेत करके समझाती हैं कि यह सो रहा है, तुम सब भी चुप रहो। इसी बीच में कृष्ण आकुल होकर जग जाते हैं। यशोदा फिर मधुर स्वर में गाने लगती हैं। सूरदास जी कहते हैं कि जो सुख देवताओं और मुनियों के लिए भी दुर्लभ है, वही कृष्ण को बालरूप में पाकर लालन-पालन और प्यार करने का सुख श्रीनंद की पत्नी प्राप्त कर रही हैं।

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