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Sunday, 4 May 2025

श्री गणेश आवाहन भजन।

ओ आओ जी गजानन आ जाओ २
मेरी सभा में रंग बरसा जाओ -२
आओ आओ जी गजानन आ जाओ 
१. बाबा शिव शंकर को भी लाना 
    मैया पार्वती जी को लाना 
   मूषक वाहन चढ़ आ जाओ 
   आओ आओ जी गजानन आ जाओ 
२. ऋद्धि सिद्धि जी को भी संग में लाना 
    शुभ लाभ स्वस्तिक संग में लाना 
    लड्डुवन को भोग लगा जाना। 
    आओ आओ जी गजानन आ जाओ 

श्री हनुमान जी आवाहन भजन

आओ आओ वीर हनुमान भजन की गंगा में।
हम पे होगा तुम्हारा एहसान भजन की गंगा में 
आओ आओ वीर हनुमान भजन की गंगा में।
१. आप भी आओ संग रास जी को लाना 
    राम जी को लाना सिया राम जी को लाना।
   लाडले लाल लखन जी को लाना 
     लाल चौकी पर विराजो हनुमान।
     भजन की गंगा में।
२. सुंदरकांड पाठ अति पावन 
      संकटमोचन सुखद मन भावन।
     कलिमल हरण सकल शुभ कारण 
     सुमिरुं सदा हनुमान भजन की गंगा में।
३.   राम भजन की पावन गंगा।
      स्नान करत मन होवत चंगा।
       हम भी डुबकी लगालें लगालें तेरे साथ 
      भजन की गंगा में।

Friday, 7 March 2025

बात के बतंगड़

दूसरे के घरों में झगड़े मत करवाएं...

एक सहेली ने दूसरी सहेली से पूछा:-  बच्चा पैदा होने की खुशी में तुम्हारे पति ने तुम्हें क्या तोहफा दिया ?
सहेली ने कहा - कुछ भी नहीं!

    उसने सवाल करते हुए पूछा कि क्या ये अच्छी बात है ? क्या उस की नज़र में तुम्हारी कोई कीमत नहीं ?

   लफ्ज़ों का ज़हरीला बम गिरा कर, वह सहेली दूसरी सहेली को अपनी फिक्र में छोड़कर चलती बनी।।

     थोड़ी देर बाद शाम के वक्त उसका पति घर आया और पत्नी का मुंह लटका हुआ पाया।

फिर दोनों में झगड़ा हुआ। एक दूसरे को लानतें भेजी।
 
     मारपीट हुई, और आखिर पति पत्नी में तलाक हो गया, जानते हैं प्रॉब्लम की शुरुआत कहां से हुई ? उस फिजूल जुमले से जो उसका हालचाल जानने आई सहेली ने कहा था।

रवि ने अपने जिगरी दोस्त पवन से पूछा:- तुम कहां काम करते हो?
पवन- फलां दुकान में।
रवि- कितनी तनख्वाह देता है मालिक?
पवन-18 हजार।
रवि-18000 रुपये बस, तुम्हारी जिंदगी कैसे कटती है इतने पैसों में ?

     पवन- (गहरी सांस खींचते हुए)- बस यार क्या बताऊं।

     मीटिंग खत्म हुई, कुछ दिनों के बाद पवन अब अपने काम से बेरूखा हो गया और तनख्वाह बढ़ाने की डिमांड कर दी, जिसे मालिक ने रद्द कर दिया।। पवन ने जॉब छोड़ दी और बेरोजगार हो गया।। पहले उसके पास काम था अब काम नहीं रहा।

     एक साहब ने एक शख्स से कहा जो अपने बेटे से अलग रहता था।। तुम्हारा बेटा तुमसे बहुत कम मिलने आता है।। क्या उसे तुमसे मोहब्बत नहीं रही?

    बाप ने कहा बेटा ज्यादा व्यस्त रहता है, उसका काम का शेड्यूल बहुत सख्त है। उसके बीवी बच्चे हैं, उसे बहुत कम वक्त मिलता है।

पहला आदमी बोला- वाह! यह क्या बात हुई? तुमने उसे पाला-पोसा उसकी हर ख्वाहिश पूरी की, अब उसको बुढ़ापे में व्यस्तता की वजह से मिलने का वक्त नहीं मिलता है।। तो यह ना मिलने का बहाना है।

     इस बातचीत के बाद बाप के दिल में बेटे के प्रति शंका पैदा हो गई।। बेटा जब भी मिलने आता वो ये ही सोचता रहता कि उसके पास सबके लिए वक्त है सिवाय मेरे।

याद रखिए जुबान से निकले शब्द दूसरे पर बड़ा गहरा असर डाल देते हैं।। बेशक कुछ लोगों की जुबानों से शैतानी बोल निकलते हैं।। हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बहुत से सवाल हमें बहुत मासूम लगते हैं।।

जैसे-
तुमने यह क्यों नहीं खरीदा?
तुम्हारे पास यह क्यों नहीं है?

      तुम इस शख्स के साथ पूरी जिंदगी कैसे चल सकती हो। तुम उसे कैसे मान सकते हो? वगैरहा- वगैरहा। इस तरह के बेमतलबी फिजूल के सवाल नादानी में या बिना मकसद के हम पूछ बैठते हैं।

जबकि हम यह भूल जाते हैं कि हमारे ये सवाल सुनने वाले के दिल में  नफरत या मोहब्बत का कौन सा बीज बो रहे हैं? आज के दौर में हमारे इर्द-गिर्द, समाज या घरों में जो टेंशन होती जा रही है, उनकी जड़ तक जाया जाए, तो अक्सर उसके पीछे किसी ओर का हाथ ही होता है।
......... ...... ......... ...... ......... ...... ..... ..... .....
 वह ये नहीं जानते, कि नादानी में या जान-बूझ कर बोले जाने वाले जुमले, किसी की ज़िंदगी को तबाह कर सकते हैं। ऐसी हवा फैलाने वाले हम ना बनें तो अच्छा है।
लोगों के घरों में अंधे बनकर जाओ और वहां से गूंगे बन कर निकलो।।
🙏

Sunday, 2 February 2025

सरस्वती वंदना

                 सरस्वती वंदना 
गीतकार संगीतकार हरिओम जोशी 
सा रे सा प म ....... सा रे सा म गे, , , ,
ग ग रे सा रे रे सा नी सा सा (पं ध़ प़ सा) ग ग रे सा रे रे सा नी सा सा।
जय जय जय है, जय जय जय है, 
विद्या दायिनी जय है ।  -2 
हंस वाहिनी वीणा वादिनी कोटि कंठ जय है।
जय जय जय है................. 
ऋषि मुनि जन जीवन कल्याणी, अद्भुत महिमा वीणापाणी ।
ब्रम्हा ध्यावें विष्णु ध्यावें शिव गाते जय है।
जय जय जय है............. विद्या दायिनी जय है।
Vvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvv
गीत संगीत हरिओम जोशी 

Friday, 31 January 2025

morning chanting



पीली सरसों। सोमवार सुबह स्नान कर दाहिनी हथेली में 
ऊं कुलदेवताभ्यो नम:
ऊं ग्रामदेवताभ्यो नम: 
ऊं स्थानदेवताभ्यो नम: 
ऊं वास्तुदेताभ्यो नम: 
ऊं पितृदेवताभ्यो नम: 
पांचबार बोल कर पीछे फैंक ना है।

Sunday, 26 January 2025

लड़की हूँ लडती रहूंगी ।

              लड़की हूँ लडती रहूंगी 
        गीतकार संगीतकार हरिओम जोशी :- 
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लड़की हूँ लडती रहूंगी 
जीवन की हर चुनौती से ।
मैं नाजु़क सी दिखती कली पर डटी हुई  हूँ ज़िद से ।।
1.जिस कोंख ने डर डर के  नौ मास गर्भ में पाला। 
जिसकी ममता को तरसी मैं मां के सीने की ज्वाला  ।। उसकी सशंकित करुणा में  महकी रहूंगी ।
लड़की हूँ, हां लड़की हूँ , मैं लड़की हूँ ।
लडती रहूंगी जीवन की हर चुनौती से।।
2.बेटी हूँ मैं जिस कुल की उसकी शान कहाऊंगी ।
बहन बनी भाई की कलाई की शान बढाउंगी ।।
जिस कुल की पहचान बनूंगी 
 उसकी रीत निभाऊंगी
लड़की हूँ हां लड़की हूँ मैं लड़की हूँ लडती रहूंगी जीवन की हर चुनौती से।
नाज़ुक सी दिखती कली अडी हुईअपनी ज़िद से
3.शिक्षा  के सरर्वोच्च शिखर पर मैंने कदम बढा लिये 
संघर्ष करती रहूंगी अपना लक्ष्य पाने के लिए।।
हर मुश्किल से टकराऊंगी  
लड़की हूँ हां लड़की हूँ मैं लड़की हूँ 
लडती रहूंगी जीवन की हर चुनौती से।।



Thursday, 23 January 2025

VILLAGE GIRL