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Friday, 26 December 2025

प्रणय निवेदन राजस्थानी गीत । गीत संगीत : हरिओम जोशी.

प्रेमिका 
म्हारी आखडल्यां री कोर ,
 लागी बलमजी थारी ओर।
म्हने , काईं थे तरसाओ रे।
 राज म्हारी मांग सजावो रे।
कांई तो तरसाओ ढोला कांई तरसाओ रे 
प्रेमी
थोड़ी धीमी फेंको डोर
माली हालत छे कमजोर
रोजी रोटी ने जुटाऊं ये 
गौरी मांग भी सजादेऊंलो ये ।।
घणा सुहावना सपणा देख्या 
सतरंगी गणगौर।
बणी छूं थारी बीणणी जी
आंखडल्यां री कोर 
थारी सुहागण मैं कहलाऊं रे 
म्हाने कांईं तरसाओ रे 





Sunday, 21 December 2025

राजस्थानी पहेली गीत गीतकार संगीतकार हरिओम।

विवाह गीत।
दुल्हन की सखियां और बारातियों के बीच चटपटी छेड़छाड़ भरा राजस्थानी महक भरा राजस्थानी पहेली गीत। Lyricist and music composer Hari Om Joshi.
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सवाल सखियों द्वारा
१. ओ दूल्हा रा साथिया म्हारी बूझो बात,
    पहली बारां सासरिये में दूल्हो कांई मारे।।
जवाब बरातियों द्वारा
१. दुल्हन की नटखट सखियां या कांई पूछी बात,
    पहली बारां सासरिये में दूल्हो तोरण मारे।।
सवाल सखियों द्वारा
२. मने बताओ तो मैं जाणूं पूछूं में जो बात
    पाछे पाछे दूल्हा रे सांगे  कांई चाले ।।
जवाब बरातियों द्वारा
२. इत्ती सी कंई बात पूछी सुंदर मुखड़ा वाली,
    पाछे पाछे दूल्हा रे दुल्हन सागे चाले।।
सवाल सखियों द्वारा
३. छील चामडो उघाड़ो चमके लाल क़तार
     मोती जडियां खाजाओ खोलखोल सिणगार।।
जवाब बरातियों द्वाराl
३. लाल सुरख होठांं वाली, चोखी पूछी बात
    दाड़म ने खाया करे खोलखोल सिणगार।।
सवाल सखियों द्वारा
४.छोटी सी दो कोटड्यां लपलप करे किवाड़,
जीं रे मायने झांकतां आशिक होवे यार
जवाब बरातियों द्वारा
४. आपां दोन्यां मल जावां हो जागो उद्धार,
     आजा म्हारी लारां गौरी करल्यां आख्या चार।।
सवाल सखियों द्वारा
५. हरिया ने छोडे नहीं सूखा भी ले चाख
    बैद भी बताया करे या हाजमा री साख ।।
जवाब बरातियों द्वारा
५. ओ गौरी चितचोरणी तू क्यों मारे आंख।
     आजा म्हारी बायां में तने खिलास्युं दाख।।
सवाल सखियों द्वारा 
६. खुरदरी डाड्यां वारो ठूंठ जियां गाठो
      ऊपर से दीखे लाकडो भीतर जाणे पैठो।।
जवाब बरातियों द्वारा
६. मीठी थारी बात छे गौरी मीठा ही बखान ,
    चटक मले छे मंदिर में, बांटे सतनाराण।।
सवाल सखियों द्वारा 
७. थारा घर री चाकरी करबा वाली कोण,
    कोनो कोनो झांके है वा नखराली कोण।।
जवाब बरातियों द्वारा
७ तू चाले तने मिलास्युं बन म्हारी गणगौर, 
    झाड़ू जिस्यां री चाकरी घर घर में करे रे कोण।।
८. सवाल सखियों द्वारा
     चालुंगी सागे थारे जो सांची बताओ बात,
     पाछे मत भागे तू बींके नी मारेली लात।।
जवाब बरातियों द्वारा ll
८. मूं तो परण चुक्यो गोरी मने तू करदे माफ।
     घर में सगला मारेला गधी मारे लात।।

Saturday, 27 September 2025

carnival Jaipur


BOON WORLD OF MUSIC MUMBAI  &
Admoor media Jaipur 
Event Proposal – Jaipur Carnival

Event Title: Jaipur Carnival – Musical & Entertainment Evening
Event Duration: 1 Day (5 Hours)
Location: Jaipur
Total Artist from Mumbai 



Entertainment Line-up

Live Band: 4 musicians (unplugged setup)

Singers: 1 male + 1 female singer (Bollywood & English songs)

Host & Entertainer: 1 professional game host, 

anchor 

 stand-up comedian

Dance Performance: 1 female solo dancer





Production & Hospitality (Provided by Organizer)

Stage setup

Professional sound system

Hotel food & catering

Local transportation within Jaipur

Artist travelling & logistics





Budget

Total Budget: ₹3,50,000 (Three Lakh Fifty Thousand only)
(Excluding travel, lodging, and boarding — these will be provided by the organizer as mentioned above.)




Event Highlights

A vibrant mix of Bollywood hits & English chartbusters

Engaging anchoring with interactive games and comedy segments

High-energy live band and dance performance

Designed to create a memorable carnival experience in Jaipur

Saturday, 20 September 2025

श्री वसूले लेखा ठा ठा

सूर्य उदय समय में पढ़ा जाने वाला मंत्र 
श्री वसूले लेखा ठा ठा 

Monday, 15 September 2025

मटके का पानी

उतरी नहीं तेरी उदासी तभी तो 
नहीं घट्यो मेरे मटके का पानी 

1.हाफ हाफ कर आती थी 
अपनी लट सुलझाती थी 
फिर गट गट पानी पीती थी 
अपनी प्यास बुझाती थी 
बीत गए दिवस कई
 हिसाब जिंदगी का किए 
बिन तेरे नहीं नफा बस हानि ही हानि 
नहीं घट्यो मेरे मटकी का पानी

2. ना गले पड़ी आ गले लगी
 ना हवा चली ना मेह बरसा
 इक-इक दिन सांसों को तरसा
 उपजा सूना सूनापन बस धरती हुई बिरानी
 नहीं घट्यो मेरे मटके का पानी

3 जब खेतों में मंडराता हूं 
डर डर के घर में आता हूं
 भाभियां  करें रोज ठिठोली
कह कह कर कि, कहां गई २ देवरानी -२
नहीं घट्यो मेरे मटके का पानी ।

पानी पानी में

पानी पानी में बट गया पर अपना वजूद ना भुला पाया 

कटोरी में या समंदर में सदैव पानी ही कहलाया
 शबनम
 की शक्ल ले ली या 
कभी आंसू बनकर निकला 
शबनम की ले ली शक्ल कभी तो
 कभी आंसू बनकर निकला 
फव्वारा बनकर बह गया
 लेकिन सबका मन बहलाया 
कटोरी में रहा या समंदर में सदैव पानी कहलाया
 पसीना बनकर उभरा बूंदे बनकर बरसा 
कोई डूब गया बाढ़ में कोई कतरे को भी तरसा
 पानी ने ऐसे रंग दिखाए कि बड़े बड़ों का दिल जलाया 

कटोरी में या समंदर में सदैव पानी ही कहलाया

 जो नहीं हुआ वह खून पानी हो कर रह गया
 जब शर्म की हदें पार हुई तो इंसान पानी पानी हो गया सब जीवन की सतह पर अटॉर्नी कोई कोई ही गजरा गहराया कटोरी में या समंदर में सदैव पानी कहलाया