सावन की हरियाली छाई खुशियों की बौछारें लाई ।
घूंघट ओढे आई बदरिया मदमस्त धरा लहराई ।
1. शीतल ठंडी हवा के झोके लगते बडे सुहाने
बागों में झूले झूलती तरुणी गाती गाने
तपती गरमी से राहत देती रिमझिम बरखा आई
टिप टिप बूंदें गिरती वृक्षों की पातपात मुसकाई ।।
घूंघट .........
2. हर मौसम की बात निराली पर सावन की कुछ खास
पंछी झूमे मोर नाचे पपीहा गाकर मन की भरते आस
दादुर की टर्रक टूँ गूँजे नदियाँ ले अंगडाई ।
घूंघट ...........
::::::::::::::::::::::::::::गीतकार संगीतकार ::::::::::::::::::
हरिओम जोशी
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