आंखों ही आंखों में वो मुझसे मुहब्बत करने लगा ।
शरमा गई मैं घबरा गई .....
मैं उसकी नशीली बातों में आने को थी पर चूक गई
मुझको भी थी चाहत मगर मैं शर्म के मारे सिमट गई
मेरे प्यार को कर रुसवा गई मैं शर्मा गई ।
शरमा गई मैं घबरा गई ......
मीठे लम्हों की कसक तो मेरे तन मन में भी हैं आते
अंग अंग में दहक दहक कर ज्वाला मेरी हैं सुलगाते
प्रणय मिलन की मधुर घड़ी में कैसी ये विपदा छाई
शरमा गई मैं घबरा गई ....
वो मेरे दिल में निशानी अपनी नज़र की छोड़ गया
बिन बोले ही लफ़्ज़ों से मुझको घायल कर गया ।
उसका प्यार ना समझ सकी, थी कितनी गहराई
शरमा गई मैं घबरा गई .......
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गीतकार संगीतकार हरिओम जोशी
नायिका मनोभावनाओं से भरा गीत
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