गीतकार:- डाॅ शिव कुमार । संगीत हरिओम जोशी।
सात female
अब मेरी चाहत ही नहीं ज़रूरत बन गये हो ।धुंधले से टुकड़े जुड़ जुड़ कर इक सूरत बन गये हो।।
पहले साथ रहने का खयाल था अब साथ होने का ।
पहले सब अपना था अब डर कुछ खोने का ।।
पहले उजाला बस ख्वाहिश थी, अब लौ जलती रहे ।
नहीं फ़िक्र था किसी बात का अब बिगड़ी बातें बनती रहें।।
पहले फूलों की क्यारी थी अब अपना पौधा हो ।
पहले अनजाने शौर्य से चमकती थी आंखें , अब निजी योद्धा हो ।।
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छह
Female singer
सब जानते भी खुद को बहकाया मैने ।
तेरे इश्क़ में तेरा हर एब निभाया मैंने ।।
तोड़ दी संस्कारों की जंजीरें ।
क्या यूँ ही रोती रहेंगी रांझाँ की हीरें।
जिंदगी जी नहीं बस धीरे धीरे सरकाया मे मैंने ।
सब जानते भी खुद को बहकाया मैने ।
तेरा झूठ भी सच की तरह लिया तेरी खातिर हर पल मर मर कर जिया
दुनिया में मुस्कुराहट तन्हाई में पछताया मैंने
सब जानते भी खुद को बहकाया मैंने।
दावतें भी दी तो बिछुड़ने की दी । अपने ही पंछी को इजाजत उड़ने की दी ।
आइने की सच्चाई से खुद बहलाया मैने
सब जानते भी खुद को बहलाया मैंने
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पांच male
मेघा अब तो मन में बरसो
हर ओर उदासी मुँह पे ताला जड़ा है
इंसां इंसां से दूर खड़ा है ।
भय जीत गया प्रीत हार गई बिमारी से ज्यादा बेरुखी मार गई
हर नज़र बस शंका से भरी है । छोड़ो बेगाने, जिंदगी अपनों से डरी है।
बुदबुदाते रहना बोलना कम है
भीतर ही घुटते रहना अनजाना सा ग़म है ।
आस्थाएँ धुंधली बस दिखावे की प्रीत है
हिस्सेदारी की हक लगाई,
स्वार्थों की रीत है
सफेद हो चुका है खून काली हो गई सरसों
मेघा अब तो मन में बरसो
DDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDD
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चार. Male
तेरी दुआएं सर का साया बनती गई
धीरे-धीरे मेरा सरमाया बनती गई
जब तक रही तेरी सरपरस्ती
ना भीगी आँखें ना नम होकर रोई
बस आज भी रह-रह के लगता है कि मेरे बिछोने पे सो रहा हैकोई तेरी दुआएँ......
जिंदगी में कभी मुसाफ़िर,
तो कभी रास्ते बदलते रहे बस हम तेरी छाया में पलकर,
जैसे बागवा में टहलते रहे
तेरी दुआएँ
कैसे दोष दें भाग्य को, जब मंज़िल पाने से पहले ही भटक गए
शायद तेरा नाम फिर से बुदबुदाता या
कुछ सांसे ईस इबादत को अटक गई ।
तेरी
अभी भी जिंदा हैं लकीरें बनकर जहां-जहां छुआ
तेरी उंगलियों के निशां तेरे हाथों से मिट गये होंगे
खयालों पे न जाने कितनी बार,
छोटू बनकर तेरे सीने से लिपट गये होंगे तेरी दुआएँ....
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तीन. Duet song
F सीधा बनकर भी क्या जीना, आ थोड़ा नटखट बनते हैं ।
इक दूजे की जिंदगी में, थोड़ी खटखट करते हैं ।
M ना उलझ गर बात बिगड़ गई, तो कैसे सहेंगे
खटखट, खटपट में बदल गई तो कहीं के ना रहेंगे ।
F.अपनों से झूठ बोलें कभी -कभी फिर घबरा जाएँ,
फिर भी लोग करें तारीफ हमारी लज्जा से शर्मा जाएं
नहीं करें खुराफात बस सीधे सादे रहें सच्चे रहें ।
OK.
चलथोड़ी सी छेड़ छाड़ कर कर मर्यादाओं बंधे रहें ।
पर यार सुनो कैसी विडंबना है | हम हेरान है।
बस खुश रहने के चक्कर में कितने परेशान है।
F.अच्छा ठीक है टीवी के बाबाओं की तरहा उल्टा लटकते हैं।
सीधा रहकर भी क्या जीना, थोड़ा नटखट बनते हैं।
1 +F नहीं करें कोई खुराफात बस सीधे सादे ऐसे ही सच्चे रहें ।
थोड़ी सी छेड़ छाड़ में जीकर मर्यादाओं में बंधे रहें ।
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दो
ना अपनी है ना पराई है
हमने तो अनजाने में चोट खाई है ।
1. जिक्र करूँ तो अफसाना बने
चुप रहें तो बस घुटन बढ़े
रह रहकर ईशारे भी करते रहे
तंग आकर जुबां ने भी आवाज़ गंवाई है ।
ना अपनी है
2. उड़ते पंछी में खुद को देखूं
बिन पंखों के फड़फड़ाऊँ
कभी रुकूँ तो कभी चलता जाऊँ
यह कैसी अदालत जिसमें
ना जज है ना सुनवाई है।
ना अपनी है ना परायी है....
3. हां अब कुछ पल रुके हैं.
अपने ही साए मुझ पर झुके हैं।
गिनता हूँ सांसें, तेरी मेरी यादों में भूलकर
लिखदी जान नाम तेरे,
अब काहेकी रुसवाई है।
ना अपनी है ना परायी है ........
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एक
Duet song
M. चल चलें नदिया के पार
वहां बैठ नित पदेंगे अखबार ।
F. 1. है तेरी मेरी प्रीत अनूठी
खबरें तो होतो सब सारी झूठी
मत करना इनका यूँ एतबार
M चल चलें नदिया के पार
F. छोड नदिया यहीं बैठ दिल की आस बढ़ाएँ
क्यों देखें दुनिया को चल खुद की खबर बनाएँ।
तेरे मेरे बीच में क्या करेगा अखबार
M. चल चले नदिया के पार
अच्छा चल नाव में बैठे खाएँ हिचकोले
इक लाइन मेरी तो दूजी तू बोले
तेरी मेरी बातें जुड़कर जो होगा तैयार
वही बनेगा अपने जीवन का अखबार
बता- क्यूं चलें अब नदिया के बार
All are well composed
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