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Tuesday, 13 September 2022

मन

मन चंचल मन बावरा मन क्यों रहत अधीर।
मन की ऊंची उड़ान पर अंकुश कहत फ़कीर।।
मन की भाषा जीत है चाहे कूप या क्षीर ।
मन बेरी जमात का मन ही भोगे पीड ।।

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