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Thursday 8 February 2024

रिवाज़

एक गांव जहां मुस्लिम परिवार पांच समय के नमाजी और बहुत ही सज्जनता पूर्वक व्यवहार करने वाला परिवार रहता था ।
परिवार के मुखिया सिराजुद्दीन साहब राज्य स्तर के तेरा की प्रतियोगिता में पिछले 10 सालों से विजय पदक हासिल कर चुके थे और गांव के पास एक बहुत बड़ी झील में प्रत्येक दिन स्नान करने जाते थे और घंटा और झील में एक किनारे से दूसरे किनारे तक तैरते हुए जाते थे और यही उनके दिनचर्या का कम था।
जब सिराजुद्दीन के बड़े बेटे नवाज गाड़ियों का काम करता था और उसकी बीवी फातिमा घर के कामकाज में पूरे परिवार की सेवा करती रहती थी।
यह तीन सदस्यों का परिवार था नवाज अक्षर बीडीओ के साथ दूर दराज के क्षेत्र में घूमने चला जाया करता था जबकि फातिमा अपने ससुर की सेवा करती थी किंतु पर्दा भी करती थी खुद सिराजुद्दीन भी अपनी पुत्रवधू को पूरा बहु जैसा सम्मान ही देते थे कभी उसकी ओर नजर उठा कर नहीं देखे थे। 
फातिमा भी झील पर अक्सर कपड़े धोने जाया करती थी और वहीं पर स्नान करती थी किंतु किनारे पर बैठकर क्योंकि उसे तैरना नहीं आता था हल्के गहरे पानी मैं ही जाकर वह स्नान करती थी और अपने डूबे हुए कपड़े लाकर वापस घर के कार्यों में जुड़ जाती थी।
एक बार की बात है की इसी प्रकार फातिमा स्नान कर रही थी कि अचानक तेज बारिश आई और झील में पानी का स्टार तेज होता चला गया और बड़ी तेज तेज लहरों के साथ वह गहरे पानी में खींचती चली गई वहीं से वह चिल्लाई बचाओ बचाओ बचाओ लेकिन आसपास सिराजुद्दीन के अलावा झील के किनारे और कोई नहीं था उन्होंने अपने पुत्रवधू को डूबते हुए देखा और झील में कूद कर जान बचाने के लिए कोशिश भी की लेकिन तभी उन्हें अपना धर्म याद आया कि यह मेरे बेटे की बेटी है मैं इसको कैसे छोड़ सकता हूं यह इससे तो यह नापाक हो जाएगी यह सोचकर वह उसे मन में इच्छा होते हुए भी बचाने के लिए नहीं खुला और खुद दिल महसूस कर किनारे पर ही खड़े रहे लेकिन किस्मत कहिए कि इस समय कुछ सेनानियों का हम झील के उसे किनारे पर आया हुआ था उनमें से एक नौजवान लड़का उसने जब फातिमा को दिखा कि वह छटपटा रही है अपनी जान बचाने के लिए तो उसने आव देखा ना ताव और झील मैं छलांगा मार कर डूबती हुई फातिमा की और तेजी से बढ़ने लगा ऊंची ऊंची लहरों के कारण उसे फातिमा तक पहुंचने में समय लग रहा था। 
लेकिन कड़े कड़े संघर्ष के बावजूद व फातिमा तक पहुंच गया और मनसन फातिमा को अपने बाहों में जकड़ कर किनारे पर उसे तरफ ले आया जहां उसके ससुर सिराजुद्दीन खड़े हुए थे।
फातिमा की शरीर में पानी घुस चुका था और वह बेहोशी युवक ने उसके पेट उसको उल्टा लेटा कर अपने  घुटनों पर उल्टा लेटा कर उसके पेट को दबा दबा कर उसके मुंह से पानी निकला और जब उसके फेफड़ों से से पानी निकल गया तो वह होश में आ गई तो देखा कि उसके ससुर सामने खड़े हैं तो वह तुरंत संभल कर परदा कर बैठ गई। जबकि सिराजुद्दीन पीठ किये खड़े थे।
तभी युवक ने पूछा मोहतरमा आप ठीक तो हैं ना ।
फातिमा ने कहा जी मैं अब ठीक हूं।
युवक ने पूछा ये जनाब कौन हैं? फातिमा ने बताया कि वह उसके ससुर हैं और इस इलाके के तैराकों के चैंपियन हैं।
युवक को बडा अचंभा हुआ और उसके ससुर के पास पहुंचा। बोला। आप बुरा न मानें तो एक बात पूछूं जनाब।
आप बुजुर्ग हैं और इस झील के बेहतरीन तैराक हैं फिर भी आपने अपनी बहू को डूबते हुए क्यों नहीं बचाया?
सिराजुद्दीन ने कहा। 
मैं उस लड़की का ससुर हूं। हमारे खानदानी रिवाज के मुताबिक मुझे अपने पुत्र की बीवी को छूना तो दूर देखना भी गुनाह है वह मेरे सामने परदा करती है। और इस कारण ही मैं चाह कर भी उसे नहीं बचा सकता था।
ओह बहुत दुःख हुआ आप से सुन कर। लेकिन बुरा मत मानना यह तो दकियानूसी सोच है। 
हां नौजवान लेकिन यह हमारे खानदानी रिवाज है। यही नहीं अगर किसी पर पुरुष ने भी उसे छू लिया हो तब भी वह हमारे खानदानी उसूल के मुताबिक हमारे घर में नहीं रह सकती। 
अब से यह आजाद है हमारे घर में इसका कोई स्थान नहीं है। मेरा बेटा भी इसको अब नहीं रख सकता। 
क्यों कि तुम ने इस को डूबने से बचा तो लिया है लेकिन इसको छू कर नापाक कर दिया भले ही तुम्हारे इरादे नेक थे मगर उसूलतन उसको उठाया और उसके अंगों को छूना पड़ा है इसलिए अब यह नापाक हो गई है।
यह बातें सुनकर फातिमा और युवक दोनों हक्के-बक्के रह गए। फातिमा को तो जैसे लगा कि वह जीते जी मय गयी है। 
उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया। वह फिर से बेहोश हो गई थी। युवक ने सिराजुद्दीन को दूर जाते हुए देखा। जाते हुए सिराजुद्दीन के चेहरे पर जरा भी चिकन नहीं थी उसे अपने पुत्रवधू को छोड़कर जाने का जरा भी दुख नहीं था. युवक ने देखा कि कितना पत्थर दिल इंसान है जिस औरत ने उसकी पूरी-पूरी सेवा की थी अपनी सारी जिम्मेदारियां को बहुत खूबी जिसने निभाया उसकी दुख की घड़ी में यह कैसा बेदर्दी इंसान है जो उसको ऐसे हालात में अकेली तड़पता हुआ छोड़ कर चला गया.
वह कभी बेहोश पड़ी फातिमा को देख रहा था तो कभी उसके जाते हुए ससुर को।
वह समझ नहीं पा रहा था कि ऐसी स्थिति में इस औरत को यहां छोड़ कर जाए या क्या करे। 
लेकिन उसका दिल इस लियावां में फातिमा को छोड़कर जाने का बिल्कुल नहीं हो रहा था क्या पता कोई जंगली जानवर उसे पर हमला कर दे इंसानियत के नाते उसकी जान को बचाना उससे ज्यादा आवश्यक लगा
आखिरकार उसने कुछ सोचा और फैसला किया और बेहोश पड़ी फातिमा को उठा कर वहां से चल दिया।
जब फातिमा को होश आया उसने आंखें खोली तो उसने अपने आप को एक कमरे में लेते हुए पाया वह हड़बड़ा कर उठने को ही तो सामने वहीं युवक खड़ा था उसके हाथ में कांच का गिलास था जिसमें कुछ दूध लेकर वह आया था उसने कहा आप भूखी होंगी फिलहाल मेरे पास खाने को इस दूध के अलावा कुछ नहीं है ना प्लीज दूध ले लीजिए आपको थोड़ा सा भूख से राहत मिलेगी.
फातिमा ने पूछा आप कौन हैं और आप क्यों मेरे ऊपर इतनी रहम दिल्ली दिखा रहे हैं आपने मेरी जान जान बचाई और जो मिले अपने थे जिनके लिए मैंने अपनी जिंदगी का सारा बोझ जिनके ऊपर छोड़ दिया था वह मुझे ऐसे नागौर मारती हुई छोड़कर चले गए सिर्फ इसलिए की आप गैर मर्द ने मुझे जान बचाते हुए छू लिया. आप आप मुझे कब तक इसी तरह से यहां रखेंगे प्लीज बताइए.
जी मेरा नाम रोहित है और मैं इस जंगल का रेंजर हो जहां वह झील है नोहा अक्सर ग्रस्त पर जाया करता हूं जब मैं आपको देखा और आपके ससुर की ऐसी निर्दय हालत में आपको मरते हुए छोड़कर चले जाने की हालत को देखा तो मैं आपको कैसे जंगल में छोड़ देता एक इंसान होने के नाते मैं आपको यहां लेकर आया हूं मैं यहां अकेला रहता हूं लेकिन आप बेफिक्र होकर यहां रह सकती हैं मैं कोशिश करूंगा कि आपका खविंद से मिलकर आपकी जिंदगी को फिर से ना बात करने में कुछ हद तक आपकी मदद कर सकूं.
आप बेफिक्र रहे मेरी नजर में आप आपके खविंद की आपके हस्बैंड की अमानत है जब तक वह नहीं मिल जाते या आ जाते मैं आपको यहां कोई तकलीफ नहीं होने दूंगा आपको बेशक यहां रह सकती है.
कुछ समय गुजर स्ट्रेंजर ने फातिमा से उसके हस्बैंड का नाम पता करके वह क्या करता है कहां मिलेगा की जानकारी करके अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को जंगल में तलाश करने के लिए भेज दिया कुछ ही लम्हों के बाद उसके गार्डों ने उसके खविंद को ढूंढ लिया और उसको लेकर रेंजर रोहित के पास लेकर आ गए जब उसकी खबर वहां आया उसने अपनी बीवी को देखा और उसने जब बताया कि उसके अब्बा ने उसके साथ कैसा सुलूक किया तो उसका पति नवाज ने सुनकर कहा कि मुझे बेहद अफसोस है मेरे अब्बा ने तुम्हें ऐसी हालत में छोड़ दिया लेकिन वह मेरे अब्बा है मैं उनको अकेला नहीं छोड़ पाऊंगा ऐसी स्थिति में मैं तुमको भी नहीं अपनाऊंगा इसका मतलब यह नहीं कि मुझे तुमसे प्यार नहीं है लेकिन मैं तुम्हें अब साथ नहीं रख पाऊंगा क्योंकि जो मेरे अब्बा ने कहा हमारे इस्लामी कानून के मुताबिक किसी गैर मर्द की स्पर्श को नापाक माना जाता है इसलिए रेंजर साहब ने जब आपको छू लिया तो अब आप मेरी अमानत नहीं रह पाएंगे. 
बेहतर है कि आप अपना गुजर बसर कहीं और कर ले रेंजर साहब मैं आपसे माफी चाहता हूं कि मैं फातिमा को अपनी शरीर के हयात नहीं रख पाऊंगा.
रोहित ने उसे खूब समझाया कि तुम यह कौन सी डाकिया नसीब बातें कर रहे हो भैया यह बेचारी मजलूम औरत तुम्हारे इस व्यवहार के कारण कहां जाएगी और कैसे जीएगी जरा याद करो तुम्हारे हर तरह की कामकाज में सेवा से सुरक्षा में इसने कहीं कोई कमी नहीं रखी आज जब इसकी जान पर आप पड़ी थी तो तुम्हारे अब्बा ने बजाई इसकी जान बचाने की उसको मारता हुआ छोड़ दिया और अगर मैं वहां नहीं होता तो सोचो इसका क्या हुआ होता.
नवाज ने मैं समझ सकता सकता हूं कि आपने मेरी बीबी फातिमा को मारने से बचाया लेकिन मैं अपने अवा की अब्बा की वसूलों को नजर अंदाज नहीं कर सकता मेरी बीबी फातिमा को मैं तहे दिल से बहुत मोहब्बत करता हूं लेकिन मैं अपने अब्बा के उसूलों को भी नहीं छोड़ सकता मैं उन्हें अकेले जिंदगी जीने के लिए भी नहीं छोड़ सकता मैं इसे भी नहीं छोड़ सकता हूं लेकिन उनकी खातिर मुझे इनको छोड़ना पड़ रहा है मेरी हालत कुछ ऐसे हैं कि ना मैं इधर रह सकता हूं ना उधर रह सकता तो आप ही बताएं मैं ऐसी हालत में क्या करूं मैं मजबूर हूं मैं इसे अपने साथ नहीं ले जा सकता मेहरबानी कर इसे कहीं किसी नौकरी पर रख ले और अपना गुजर गुजर करने लायक इसको कहीं रखवा दें उसमें मैं इसकी मदद कर सकता हूं की कभी-कभी मैं इससे मिलने आज आया करूंगा

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