कहते ज़ुबां सिल जाती है।
दिल के अरमां दिल में दबाये 
उम्र युंही लुट जाती है।।
 दिन तो गुज़र जाते हैं
 तन्हा रातें बहुत तड़पाती हैं।
चाहत ज़रूरत  हमदर्द हमनशीं
 हमनवां की आती है।।
इतनी बड़ी दुनिया में रब ने 
क्यों ना बनाया मेरे लिए।
कब होगा दीदार यार तेरा
मुहब्बत तुझे बुलाती है।।
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गीत संगीत हरिओम जोशी .
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