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Sunday 22 December 2019

ROMANTIC SONG "SIPAHIYO JAADU KARGYO RE

सिपहियो जादू करग्यो रे
Female
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गीतकार संगीतकार हरिओम जोशी
8619027915
boonworldofmusic@gmail.com
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जादू करग्यो , जादू करग्यो , जादू करग्यो रे
जादू करग्यो हिवडो हरग्यो मन में बस ग्यो रे
सिपहियो जादू करग्यो रे ।-2

1.
पनघट पाणी पीबा आयो
मीठी बाताँ कर के लुभायो
मूँछाँ वारो वीर हटकट्टो चैन चुराग्यो रे
          सिपहियो जादू करग्यो रे -2
2.
म्हारी सुंदर देह निरखतो ।
देख देख मने घायल करतो ।
रीती छोड अकेली जालिम
कठे गमकग्यो रे -2
        सिपैयो ..........
3.
जाणे कब आवेगो बेरी ।
आँखडल्याँ री राह अंधेरी ।
भरी जवानी मद रो प्यालो
खाली रह ग्यो रे -2
         सिपहियो .......
4.
अब आवे तो छोडूँ कोनी ।
लगन करी बिन मानूँ कोनी ।
जनम् जनम् रो साथी म्हारे
हिवडे बसग्यो रे
सिपहियो जादू करग्यो रे । -2

MHARE KAALJE RI KOR

गणगौर गीत
गीत संगीत :- हरिओम जोशी
,boonworldofmusic@gmail.com
(8619027915)

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गौरी पजन करबा चाली दरसण दे गणगौर ।
दरसण दे गणगौर म्हारे कालजे री कोर ।।

ईसर जी ने पूजूँ माँ पारवती ने पूजूँ ।
कुंकुम टीको दीप धूप माता रुचिकर भोग चढाऊँ ।
म्हारी पूजा कर स्वीकार माँ दरसण दे गणगौर ।।

तू सुहागन माता शिवजी थारा रे भरतार
म्हारे सुहाग री लाज राख माँ जगती तारणहार
गलती हो जो करजे माफ दरसण दे गणगौर ।।

पूजा कोनी जानू थारी भक्ति कोनी जानूँ ।
भावना री भैट मानजे मूँ बस ईने मानूँ ।।
थारा गुण गावे संसार दरसण दे गणगौर ।।

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राजस्थान के लोक देवी देवताओं में ईसरजी और पारवती जी की बहुत महिमा है । इन्हीं को गणगौर
के रूप में पूजा जाता है । सुहगिनें अपने पति की लंबी आयु और सुख सौभाग्य की मनोकामना करती हैं ।

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KAB LARYA CHHO BARAATI

कब लारिया छो बराती
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राजस्थानी प्रेमिका का मनुहार गीत
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गीतकार संगीतकार हरिओम जोशी
(8619027915)
boonworldofmusic@gmail.com
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ओ जी म्हारा जनम जनम रा साथी
देवर जी रा बीर कब लारिया छो बाराती
कब लारिया छो बाराती
ऐ जी म्हारी दूःख री छे छाती ।।

ईं जनम में बाट जोवूँ कब रे थे आवोला
आख्याँ में बस्या छो साजन काँई सूनी राखोला ।।
तन मन यो सुलग रियो छे दीप जैयाँ बाती ।।।
देवर जी रा बीर ........
म्हारो बापू घरां घरां में घूमबा जावे है।
बेटी रा लगन री खातिर टेवा मिलाने है।
पल पल थारी बाट निहारी जीवडो तडपाती
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प्रस्तुत गीत में नायिका अपने प्रेमी (भावी जीवनसाथी) की संकल्पना कर अपने भावों की व्याख्या कर रही है ।
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HOLI GEET :-*" JHUME BALAM PYARA ",

होली की हुडदंग में झूमे बालम प्यारा
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होली गीत
गीतकार संगीतकार हरिओम जोशी
8619027915
boonworldofmusic@gmail.com
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नायिका प्रधान गीत :-

आज म्हारे अंग- अंग में रंग भर्या छे न्यारा ।
होली की हुडदंग में झूमे बालम प्यारा ।।

लीला लाल हर्या रंगाँ में गमग्यो म्हारो रंग
आईना में देख देख के रह गी मूँ तो दंग
हँस हँस के सासूजी और जिठानी मने चिढारा
          आज म्हरे ..............

लाज शरम सूँ गडगी बालम घूँघट काँई उगाढे।
रंग भर भर के पिचकारी अंगाँ माँईं छुडावे ।।
नणदल बाई ने जकडी म्हारे देवर कर्यो बौछाराँ
आज म्हारे ...........

गली मुहल्ला री पडौस्याँ नाचती गा री छे
ढोल तंबूरा झांँझ मजीरा पीटती आ री छे
होली रो हुडदंग मच्यो छे मस्त दीखे सारा
आज म्हारे ...

होली आई सगाँ संबंधी ने भी गले मिलाई ।
रंग ज्याँ में रंग भर्या छे प्रेम खुशी रा भाई ।
दुश्मन भी बेर भुला के रंग खेलो साराँ ।।
            आज म्हारे ......
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राजस्थान की रंगों भरी होली का ग्रामीण परिवेश जहाँ रिश्तों में पवित्रता और हर्षोल्लास मिलता है ।
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Melo dekhan chalan

    राजस्थानी गीत :- आपाँ मेलो देखण चालाँ ।
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गीतकार _ संगीतकार :- हरिओम जोशी
(8619027915 ) boonworldofmusic@gmail.com
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                "आपाँ मेलो देखण चालाँ "
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Male
  रे म्हारी नखराली घरनार आपाँ मेलो देखण चालाँ ।
     मेलो देखण चालाँ री झूलो झूलण चालाँ ।
Female
रे म्हारा जीवन रा भरतार मेलो देखण कोनी चालाँ ।
सासूजी सुसरा जी एकला कैयाँ छोड चालाँ ।
Male
रमकूडी भी जावे वा झमकूडी भी जावे ।
रंग बिरंगी चूनर चोली पहन पहन ने जावे ।
काली छींट रा घाघरा रा निंजारा निरखावे ।
टाबर टींगर ले ले साथ आपाँ भी मेला में चालाँ ।
Female
रमकूडी रे सासू कोनी झमकूडी रे सुसरो ।
बड़ा बुजुर्गां री सेवा सूँ बड़ो नी मेलो सुसरो ।
सागे बैठाँ घर में खास मजो तो बीं में आवे ।
बाँट चूँट खावेलाँ साथ मेलो कोनी चालाँ ।।
Male
म्हारा सगला साथी जावे बइर्याँ सागे जावे ।
चाट पकौड़ी भेलपुरी रा चटखारा लगावे ।।
बैठ रेंट में झूलेलाँ री हो तैयार चालाँ री
अवसर आवे नी हर बार आपाँ झूलो झूलण चालाँ ।
Female
चाट पकौड़ी भेलपुरी थारे घर में ई बणाद्यूँ ।
साँझ ढले तो साजन थाने बाँयाँ में झुलाद्यूँ ।
छोड़ बुजुर्गाँ ने घराँ तरसता क्यूँ कर मेलो चालाँ ।
काँई बोलेलो संसार  मेलो देखण कोनी चालाँ ।।
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इस गीत की विषेषता यह है कि नायक अपनी पत्नी को बार बार मेले में ले जाने मौज मस्ती करने की मनुहार करता है किंतु नायिका अपने सास श्वसुर की सेवा करने की भावना मन में रखते हुए पति को उसकी भी ज़िम्मेदारी न भूलने की बातें याद दिलाती है ।
आजकल जहाँ संयुक्त परिवार खंडित हो रहे हैं । बेटे बहू विवाह होते ही अलग ग्रहस्थी बसाने लगे हैं ऐसे समय में यह गीत प्रेरणा देता है कि अपने जन्मदाता माता पिता को छोडकर कोई खुशी नहीं पाई जा सकती ।
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